Book Title: Anusandhan 1995 00 SrNo 04
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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शब्दप्रयोगोनी पगदंडी
(१)
चाउरि, गब्दिका, गर्त
हरिवल्लभ भायाणी
मोनिअर-विलिअम्झना संस्कृत- अंग्रेजी कोशमां 'चतुर', 'चातुर' अने 'चातुरक' शब्दो प्राचीन संस्कृत कोशोमां 'नानुं गोळ ओशीकुं' एवा अर्थमां अने 'गल्ल-चातुरी' शब्द 'गालमसूरियुं' एवा अर्थमां आप्या छे. हकीकते आ शब्दरूपो देश्य शब्द 'चाउरि' एटले 'गादी' उपरथी बनावी काढेला संस्कृत शब्दरूपो छे. 'चाउरि' शब्द पुष्पदंतना अपभ्रंश महाकाव्य 'महापुराण'मां वपरायो छे अने त्यां प्राचीन टिप्पणमां 'गादीति देशी' ए रीते ते देश्य शब्द होवानुं अने तेनो अर्थ 'गादी' थतो होवानुं जणाव्युं छे. जुओ रत्ना श्रीयान् कृत 'ए क्रिटिकल स्टडी ओव महापुराण ओव पुष्पदंत' (१९६२, पृ. २३१, क्रमांक ९४३; पृ. ३२०, क्रमांक १३९४). जूनी गुजराती कृतिओमां 'चाउरि' शब्द 'गादी' ना अर्थमां वारंवार वपरायो छे.
जेम 'चाउरि' उपरथी 'चातुर', 'चातुरी' एवो संस्कृत शब्द घडी कढायो, तेम 'गादी' उपरथी कृत्रिम रीते घडी काढेलो 'गब्दिका' जैन प्रबंधादिना संस्कृतमां मळे छे. 'गादी' के 'गद्दी' घणी अर्वाचीन भारतीय आर्य भाषाओमां मळे छे. तेना मूळ तरीके 'गर्द' एवं रूप अटकळी शकाय. वैदिक शब्द 'गर्त' ' = रथनी बेठक' नुं ए रूपांतर होवानुं समजी शकाय (जुओ, टर्नरनो भारतीयआर्यनो तुलनात्मक कोश, क्रमांक ४०५३). 'गाडी' शब्दनुं मूळ ए 'गर्त/गर्द' मां ज छे.
(२)
प्रा. छेअ- 'अंत, हानि'
संस्कृत 'छेद - ' उपरथी प्राकृतमां 'छेअ - ' नियम प्रमाणे थाय छे. पण प्राकृतमां तेनो अर्थविस्तार थयो छे. 'छेद, कापो' उपरांत 'छेडो, न्यूनता' एवा अर्थमां पण ते वपरायो छे ('पाइअसद्दमहण्णवो').
प्रभाचंद्राचार्यकृत 'प्रभावकचरित' (इ.स. १२७८) मां आपेल बप्पभट्टिसूरिचरितमां छोडी गयेला बप्पभट्टिसूरिने राजा आम नागावलोक
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