Book Title: Anathimuni Charitram Author(s): Nagchandrajitswami Publisher: Virchand Lalchand Shah View full book textPage 4
________________ श्री अनाथिमुनि ___ अस्माकं वन्दनम् Com भवबीजांकुरजनना, रागाद्याः क्षयमुपागता यस्य । ब्रह्मा वा विष्णु वर्वा, हरो जिनो वा नमस्तस्मै ॥१॥ यत्र तत्र समये यथा तथा, योऽसि सोऽस्यभिधया यया तया । वीतदोषकलुषः स चेद्भवान्नैक ! एक ! भगवन् ! नमोऽस्तु ते ॥१॥ औलोक्य सकलं त्रिकाल विषयं सालोकमालोकित, साक्षायेन यथा स्वयं करतले रेखात्रय सांगुलि । रागद्वेष भया भयान्तक जरा-लोलत्वलोभादयो, नाल यत्पदलं घनाय स महा-देवो मया वन्द्यते ॥२॥ यो विश्वे वेद वेद्य जननजलनिधे में गिनः पारदृश्वा, पौर्वापर्या विरुद्ध वचनमनुपम निष्कलंक यदीयम् । तं वन्दे साधुवन्द्य सकलगुणनिधि ध्वस्तदोषद्विषन्त, बुद्ध वा वर्द्धमान शतदलनिलय केशव वा शिव वा ॥१॥ (कुमारपाल चरित्रात) चरित्रम् Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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