________________
मे अहदास का समय विक्रम की तेरहवी शती का अन्तिम चरण है । अत अजित सेन का समय इसके पश्चात् होना चाहिए । पोम्बुच्च से प्राप्त पूर्वोक्त अभिलेखों मे निर्दिष्ट अजित सेन का समय ईसवी सन् की बारहवी शती है । अत उक्त अजितसेन
अलकार चिन्तामणि के रचयिता नहीं हो सकते ।
"श्रवणबेलगोला के तीन अभिलेखों मे अजितसेन का उल्लेख आया है।
अभिलेख सख्या अडतीस मे बताया गया है कि गगराज मारसिह ने कृष्णराज तृतीय के लिए गुर्जर देश को जीता था । उसने कृष्णराज के विपक्षी अल्लंका मद चूर किया, विन्ध्य पर्वत की तलहटी मे रहने वाले किरातों के समूह को जीता और मान्यखेट मे कृष्णराज की सेना की रक्षा की । इन्द्रराज चतुर्थ का अभिषेक कराया, पाताल मल्लके कनिष्ठ भ्राता वज्जल को पराजित किया, वनवासी नरेश की धनसम्पत्ति का अपहरण किया, माटूरवश का मस्तक झुकाया और नोलम्ब कुल के नरेशों का सर्वनाश किया । इतना ही नहीं उसने उच्चगि दुर्ग को स्वाधीन कर रावराधिपति नरग का सहार किया, चौड नरेश राजादित्य को जीता एव चेर, चोड, पाण्ड्य और पल्लव नरेश को पराजित किया । इसने अनेक जैन मन्दिरों का निर्माण कराया । अन्त मे राज्य का परित्याग कर अजितसेन भट्टारक के समीप तीन दिवस तक सल्लेरवना
व्रत का पालन कर बकापुर मे देहोत्सर्ग किया ।
धर्म मागल नमस्य नडयिसिबलियमोन्दुवर्ष राज्यम पत्तुविटु बकापुरदोल् अजितसेनभट्टारकर श्रीपादसन्निधियोल् आराधनाविधियिमूरूदे सनोनतु समाधिय साधिसिद ।।।
।
जेनशिलालेख सग्रह, प्रथम भाग, अभिलेख स0-38 पृ0-20-उधृत अलकार चिन्तामणि - प्रस्तावना - पृ0 - 31