Book Title: Alamban Pariksha
Author(s): Dinnaga, Dharmapala, N Aiyaswami Shastri
Publisher: Adyar Library

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Page 25
________________ * आलम्बनपरीक्षा आचार्यदिङ्नागकृता नमः सर्वबुद्धबोधिसत्त्वेभ्यः १. यद्यपीन्द्रियविज्ञप्तेर्याद्यांश: (अणवः) कारणं भवेत । अतदाभतया तस्या नाक्षवद्विषय: स तु (अणवः) ।। २. यदाभासा न तस्मात् सा द्रव्याभावात् द्विचन्द्रवत् । एवं बाह्यद्वयञ्चैव न युक्तं मतिगोचरः || ३. साधनं सञ्चिताकारमिच्छन्ति किल केचन । अवाकरो न विज्ञप्तेरर्थः कठिनतादिवत् ॥ ४. भवेटशरावादेस्तथा सति समा मतिः । आकारभेदाद्भेदश्चेत्, नास्ति तु द्रव्यसत्यणौ || * Fanjur (Narthari), Mdo, ce, (XCV) No. 4. This verse is quoted in the Tattvasangrahapañjikā (GOS.) · p. 582. The reading अणव: ' given within bracket is according to the Tibetan version. * This line being put literally, may read thus : केचित् सञ्चिताकारान् साधनमिच्छन्ति । 3 Lit. विज्ञप्ति - अर्थ.

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