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अहिंसा और शान्ति
अप्राणी और प्राणी में भेदरेखा खींचने का सबसे पहला माध्यम है- इच्छा । अप्राणी में इच्छा नहीं होती। जिनमें मानसिक चेतना नहीं होती, उनमें भी इच्छा होती है । वनस्पति के जीव अविकसित हैं, उनमें भी इच्छा होती है । इच्छा जीव का ऐसा सामान्य लक्षण है जो अत्यंत अविकसित जीव से लेकर विकसित जीव तकसबमें उपलब्ध होता है। इच्छा जीव का लक्षण है तो इच्छा एक समस्या भी है। जब इच्छा असीम बन जाती है, तब वह स्वयं एक समस्या का रूप ले लेती है । असीम इच्छा : एक समस्या
पति ने पत्नी से पूछा- क्या तुम्हें कभी अपनी बात पर भी गुस्सा आता है ? पत्नी ने कहा- आता है।
पति- कब आता है ? क्यों आता है ?
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पत्नी - जब मैं तुम्हें साड़ी खरीदने के लिए कहती हूं और तुम तत्काल खरीद देते हो, तब मुझे अपनी बात पर बड़ा गुस्सा आता है।
पति- मैं इस बात को नहीं समझ सका। गुस्सा तो तब आना चाहिए जब मनचाही वस्तु नहीं मिलती। जब तुम्हारी मनचाही बात हो जाती है, तब गुस्सा क्यों आता है? पत्नी ने अपनी बात स्पष्ट करते हुए कहा- उस समय मैं सोचती हूं, मैं कितनी मूर्ख हूं। मैंने मात्र साड़ी के लिए ही क्यों कहा, मैंने जेवर के लिए क्यों नहीं कहा ? और मुझे अपनी ही बात पर गुस्सा और खीज आने लग जाती है।
जब इच्छा असीम बनती है, व्यक्ति समस्या से घिर जाता है । यह इच्छा न जाने कितनी भावनाएं, कितनी वृत्तियां और कितनी समस्याएं पैदा करती है । मार्क्सवाद की उत्पत्ति का मूल बीज
आर्थिक जीवन का दूसरा पहलू है- आवश्यकता । जीवन के साथ आवश्यकता जुड़ी हुई हैं । कोई भी व्यक्ति आवश्यकता विहीन जीवन नहीं जी सकता । रोटी की आवश्यकता, पानी की आवश्यकता, कपड़ों की आवश्यकता, मकान की आवश्यकता, दवा की आवश्यकता । कोई अन्त नहीं आवश्यकताओं का। उसकी तालिका इतनी लम्बी है कि आज तक कोई भी उस तालिका को बना नहीं पाया और शायद वह बनाई भी नहीं जा सकती ।
जब आदमी इच्छा से संचालित होता है तब कृत्रिम आवश्यकताएं भी बहुत पैदा हो जाती हैं। मार्क्सवाद- आज बहुत प्रसिद्ध राजनीतिक प्रणाली बन गया है । उसकी उत्पत्ति के मूल में आवश्यकता का बीज था। मार्क्स ने देखा - उसका लड़का भूख से तड़पते हुए प्राण छोड़ रहा है। उसके मन में प्रश्न उठाभूख क्या है ? क्या इसी के द्वारा सब कुछ संचालित हो रहा है ? इस प्रश्न की खोज में एक नया अर्थशास्त्र प्रस्फुटित हो गया । मार्क्सवाद - राजनीति की नई
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