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अभ्यास तृतीय अनुप्रेक्षाएं
1. मैत्री की अनुप्रेक्षा प्रयोग-विधि 1. महाप्राण ध्वनि
.. 2 मिनट 2. कायोत्सर्ग
5 मिनट 3. सफेद रंग का श्वास लें। अनुभव करें-- .. श्वास के साथ सफेद रंग के परमाणु भीतर प्रवेश कर रहे हैं। 3 मिनट 4. पूरे ललाट पर सफेद रंग का ध्यान करें। 3 मिनट 5. पूरे ललाट पर ध्यान केन्द्रित कर अनुप्रेक्षा करें'सब मेरे मित्र हैं। मैं सबके प्रति मैत्री का प्रयोग करूंगा' -इस शब्दावलि का नौ बार उच्चारण करें फिर इसका नौ बार मानसिक जप करें।
5 मिनट अनुचिन्तन करें--
शत्रुता का भाव भय पैदा करता है और भय शरीर एवं मन को दुर्बल बनाता है, इसलिये मुझे मैत्रीभाव का विकास करना चाहिए।
जैसे ही शत्रुता का भाव आता है प्रसन्नता गायब हो जाती है। अपनी प्रसन्नता को सुरक्षित रखने के लिए मुझे मैत्रीभाव का विकास करना चाहिए।
10 मिनट 6. महाप्राण ध्वनि के साथ प्रयोग सम्पन्न करें। 2 मिनट
स्वाध्याय और मनन (अनुप्रेक्षा के अभ्यास के बाद स्वाध्याय और मनन आवश्यक है।) . स्वयं सत्य खोजें : सबके साथ मैत्री करें
____ हमें सत्य को जानना है और अपने आपको बदलना है कि हमारा शत्रुता का भाव सर्वथा नष्ट हो जाए। हमारे मन में शत्रुता का भाव रहे ही नहीं। हम आदमी को शत्रु मान लेते हैं। अपना प्रमाद, अपना दोष दूसरे के सिर पर आरोपित कर देते हैं कि उसने
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