Book Title: Ahimsa aur Anuvrat
Author(s): Sukhlalmuni, Anand Prakash Tripathi
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 218
________________ मनुप्रेक्षाएं 199 इसकी गरीबी को मिटाना होगा। इसे पांच बीघा जमीन और दे दो, फिर वह ऐसा व्यवहार कभी नहीं करेगा।' यह है समस्या का समाधान और यह है समस्या का सम्यक् उपाय। हम मूल कारण की खोज नहीं करते और मूल कारण को खोजे बिना समस्या का भी समाधान नहीं हो सकता। क्रूरता की समस्या का मूल है अमानवीय दृष्टिकोण, फिर चाहे वह लोभ के रूप में अभिव्यक्त हो या संग्रहवृत्ति के रूप में विकसित हो। इसको मिटाने का एक मात्र उपाय है-मानवीय दृष्टिकोण का विकास । इसे ही प्राचीन भाषा में आत्मौपम्यदृष्टि कहा गया है। इसका अर्थ है प्रत्येक प्राणी को अपने समान समझना । आधुनिक भाषा में यही है मानवीय दृष्टि। इसका फलित है कि प्रत्येक व्यक्ति में चेतना जागे कि सब मेरे जैसे ही मनुष्य हैं। हम सब एक ही हैं । मैं भी मनुष्य हूं । वह भी मनुष्य है। मुझे मनुष्य को मनुष्य की दृष्टि से देखना चाहिए। इस दृष्टि का विकास बहुत जरूरी है आज सामाजिक जीवन में। जब तक इस दृष्टि का विकास नहीं होगा तब तक क्रूरता समाप्त नहीं होगी, व्यवहार नहीं बदलेगा ।आदमी दूसरे के प्रति बहुत क्रूर व्यवहार कर लेता है। मिल-मालिक मजदूर के प्रति, सेठ कर्मचारी के प्रति, अफसर अपने अधीनस्थ व्यक्तियों के प्रति क्रूर व्यवहार करता है। सर्वत्र क्रर व्यवहार देखा जाता है। इसका कारण है--बड़प्पन और छूटपन का मनोभाव। यह मान लिया गया है कि एक बड़ा है, एक छोटा है। बडा छोटे के प्रति क्रूर व्यवहार कर सकता है, मानो कि यह मान्यता प्राप्त स्थिति है। यहां का आदमी पशुओं के प्रति भी क्रूर व्यवहार करता है। जिस गाय से दूध लेता है, आदमी उस को पीट देता है। ऐसा पीटता है कि गाय आगे-आगे दौड़ती है और आदमी उस पर लाठियां बरसाता हुआ पीछे-पीछे दौड़ता चला जाता है । जिस गाय से दूध लेता है उस गाय को पीटने से दूध कहां रहेगा? दूध सूख जायेगा । दूध भी प्रेमपूर्ण व्यवहार किए बिना नहीं मिलता। जिन लोगों ने यह समझ लिया है कि गाय के साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार करने से अधिक दूध देगी, उन्होंने पशुओं के रहन-सहन की सुन्दर व्यवस्थाएं की हैं। उनके रहने के लिए मकान बनाये हैं। वहां पंखे चलते हैं। वहां कहीं-कहीं वातानुकूलित मकान हैं। रेडियो बजते हैं। संगीत की स्वर-लहरियां थिरकती हैं। इस वातावरण में रहने वाली गायें अधिक दूध देती हैं। जिन गायों के प्रति क्रूर व्यवहार होता है, जिनको पीटा जाता है, गालियां दी जाती हैं, तिरस्कार किया जाता है उनका दूध धीरे-धीरे सूख जाता है। हर प्राणी प्रेमपूर्ण व्यवहार चाहता है। वैज्ञानिकों ने वनस्पति-जगत् पर प्रयोग कर यह सिद्ध कर दिया कि जिन पौधों को प्रेमपूर्ण भावना से पानी सींचा जाता है, वे पौधे अधिक विकसित होते हैं। जिन पौधों को उपेक्षा-वृत्ति से पानी सींचा जाता है, वे कुम्हला जाते हैं। पानी वही है, सींचने वाला भी वही है, कोई रासायनिक परिवर्तन नहीं है, किन्तु भावनात्मक परिवर्तन के द्वारा एक दिशा के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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