Book Title: Ahimsa aur Anuvrat
Author(s): Sukhlalmuni, Anand Prakash Tripathi
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 246
________________ अनुप्रेक्षाएं 227 किसी का प्राण न लेना मात्र ही अहिंसा नहीं है, अहिंसा है स्वयं का हिंसा से बचना। पग-पग पर जागरूक रहना कि मुझसे किसी प्रकार की हिंसा न हो जाय। अपने-आपको बचाने के लिए तो सभी सचेष्ट रहते हैं, पर हिंसा से अपने-आपको बचाने वाले विरले ही मिलेंगे। सब्जी छीलने वाला व्यक्ति भी खयाल रखता है कि कहीं हाथ न कट जाय। पर कौन ध्यान रखता है कि चलते-फिरते, उठते-बैठते मुझसे किसी प्रकार की हिंसा न हो जाए, मैं हिंसा का भागी न बन जाऊं। संसार के सभी प्राणी जीना चाहते हैं,कोई मरना नहीं चाहता। चींटी तक मरने का अंदेशा पाते ही भाग खड़ी होती है। उसे जीवन प्रिय है। उसे क्या, सभी को जीवन प्रिय है। किसी को मत मारिये, मत सताइये। प्रत्येक प्रवृत्ति में 'उपयोग' करिये। उपयोग रखिये। उपयोग' (सावधानी) रखने से कितने ही पापों से बचा जा सकता है। उपयोग परम-धर्म है। एक साधु उपयोगपूर्वक देख-देखकर चलता है । वह हिंसा से हर वक्त सचेष्ट रहता है। ऐसी हालत में यदि संयोगवश कोई जीव पांव के नीचे आकर दब भी गया तो वह उसके लिए हिंसक नहीं होगा। लेकिन एक साधु असावधानी से चलता है, इस स्थिति में कोई जीव न भी मरा तो भी वह हिंसक है। क्योंकि वह अहिंसा के प्रति लापरवाह है। उसने इसका खयाल नहीं रखा कि मुझसे किसी प्राणी का नाश न हो जाय। अत: इस मानव-जीवन का उपयोग करने के लिए त्रस तथा स्थावर सभी प्रकार के जीवों के प्रति समभाव रखना जरूरी है। एक गृहस्थ को अपने आवश्यक कायों के लिए हिंसा करनी पड़ती है। पर वह उसे हिंसा समझे, उसके लिए अनुताप करे और निरर्थक हिंसा से बचने का प्रयत्न करे तो वह अहिंसा की ओर गति कर सकता है। 8. सत्य-अणुव्रत की अनुप्रेक्षा 9. अचौर्य- अणुव्रत की अनुप्रेक्षा प्रयोग-विधि (प्रामाणिकता की अनुप्रेक्षा का पुनराभ्यास करें।) 1. महाप्राण-ध्वनि 2 मिनट 2. कायोत्सर्ग 5 मिनट 3. सफेद रंग का श्वास लें, अनुभव करें, श्वास के साथ सफेद रंग के परमाणु भीतर प्रवेश कर रहे हैं। 3 मिनट 4. ज्योति-केन्द्र पर सफेद रंग का ध्यान करें। 3 मिनट 5. ज्योति-केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित कर अनुप्रेक्षा करें- "मैं व्यवसाय और व्यवहार में प्रामाणिक रहूंगा।" इस शब्दावली का नौ बार उच्चारण करें। फिर इसका नौ बार जप करें। 10 मिनट Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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