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अणुव्रत आन्दोलन
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और वह योग्यता के अनुरूप मिले, ऐसी स्थिति में जीवन की निश्चिन्तता आती है। भावी जीवन और भावी पीढ़ियों की चिन्ता कम होती है, संग्रह वृत्ति शिथिल बन जाती है। ऐसी भूमिका में व्रतों को विकसित होने का सुन्दर अवसर मिलता है। पर आज स्थिति दूसरी ही है। जहां ऐसी भूमिका है, वहां व्रतों की भावना नहीं है और जहां व्रतों की भावना है, वहां वैसी भूमिका नहीं है।
गरीबी में अभिलाषा बनी रहती है। अमीरी का दोष है- अतृप्ति। संतुष्टि या वृत्ति-संतुलन त्याग से उत्पन्न होता है। पहले वस्तु का त्याग और फिर वासना का त्याग।
___ त्याग समतावाद है। अपने हित के लिए सब कुछ त्यागे-यह सिद्धांत जैसा धनी के लिए है, वैसा ही गरीब के लिए। गरीबों को त्याग द्वारा दो वस्तुएं साधनी चाहिए--(1) व्यसन-मुक्ति, (2) इच्छा-मुक्ति । धनिकों को उसके द्वारा तीन वस्तुएं पानी चाहिए--(1) व्यसन-मुक्ति, (2) इच्छा-मुक्ति, (3) अशोषण ।
गरीबों को करना चाहिए--बहु-भोग, बहु-परिग्रह और बहु-हिंसा की आकांक्षा का त्याग। धनिकों को करना चाहिए--बहु-भोग, बहु-परिग्रह, बहु-हिंसा और इनकी आकांक्षा का त्याग। समाज का समतावाद सबके लिए समान सुविधा, समान भोग और विकास का समान अवसर मिलने का सिद्धांत है। सुख-सुविधा और भोग जहां साध्य बनते हैं, वहां संग्रह और शोषण घुस आते हैं। अणुव्रत आध्यात्मिक समतावाद के साधन हैं। इस क्षेत्र में जीवन का साध्य है-पवित्रता और वस्तु-निरपेक्ष आनन्द। सुख-सुविधा और भोग जीवन-निर्वाह की प्रक्रिया है। उसमें अधिक आकर्षण और ममकार नहीं होना चाहिए। "मैं जैसे अनुभूतिशील हूं वैसे दूसरे प्राणी भी अनुभूतिशील हैं"-इसकी मार्मिकता तभी समझी जाती है जब बाहरी पदार्थों से आकर्षण और ममकार टूटता है। ये व्यक्ति को मूढ़ बनाते हैं। मूढ़ व्यक्ति दूसरों की आनुभविक क्षमता को सही-सही नहीं आंक सकता। आध्यात्मिक दृष्टि विशुद्ध दर्शन है। वह अपनी समता का स्वीकार है। अपनी मानसिक स्थिति विषम न हो, यही साम्य है। यह अमूढ़ दर्शन है। इसी के आधार पर अणुव्रत आन्दोलन के स्वरूप आदि का निश्चय किया जा सकता है
(1) अणुव्रत-आंदोलन का स्वरूप है--स्वनिष्ठता। (2) अणुव्रत आंदोलन का ध्येय है--जीवन-शुद्धि। (3) अणुव्रत-आंदोलन का आदर्श है--चरित्र का उत्कर्ष । (4) चरित्र-अपकर्ष के हेतु हैं--बहु-भोग, बहु-परिग्रह और बहु-हिंसा। (5) चरित्र-उत्कर्ष के हेतु हैं--भोग-अल्पता, परिग्रह-अल्पता और
हिंसा-अल्पता। (6) आदर्श-प्राप्ति के साधन हैं --अणुव्रत।
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