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अहिंसा और अणुव्रतः सिद्धान्त और प्रयोग
निष्ठा : स्वरूप और आधार
आप जानना चाहेंगे कि निष्ठा क्या है ? निष्ठा का अर्थ है चित्त की स्थिरता । अनैतिकता का मूल बीज ही है चित्त की चंचलता, चित्त का उद्वेग। जिन मनुष्यों का मन कहीं भी टिका हुआ नहीं है, वे समाज में अव्यवस्था फैलाते हैं, तोड़-फोड़ करते हैं और भ्रष्टाचार करते हैं। स्थिर चित्त वाले आदमी ऐसा आचरण नहीं करते। आप यह भी जानना चाहेंगे कि निष्ठा किसके प्रति होनी चाहिए ? मेरा सक्षिप्त उत्तर होगा कि वह जीवन-मूल्यों के प्रति होनी चाहिए। जीवन के मूल्य मुख्यतः चार वर्गों में विभक्त हैं (1) वैयक्तिक मूल्य, (2) सामाजिक मूल्य, (3) राष्ट्रीय मूल्य, (4) धार्मिक मूल्य ।
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शान्ति और स्वतन्त्रता - ये जीवन के वैयक्तिक मूल्य हैं। श्रम और संतुलित व्यवस्था - ये जीवन के सामाजिक मूल्य हैं। एकता और बलिदान - ये जीवन के राष्ट्रीय मूल्य हैं। मैत्री और सत्य- ये जीवन के धार्मिक मूल्य हैं। निष्ठा की कमी : संदर्शन और निदर्शन
बहुत लोग पूछते हैं - नैतिक आदमी दुःख का जीवन जीता है और अनैतिक आदमी सुख का जीवन जीता है। फिर नैतिक किसलिए होना चाहिए ? इस प्रश्न में मुझे निष्ठा के अभाव का ही संदर्शन हो रहा है। अनैतिक आदमी हजारों मनुष्यों के सुख को लूटकर अकेला सुख भोगता है और नैतिक आदमी हजारों दुखियों के दुःख का समभागी होकर दुःख भोगता है तो इसे मैं नैतिकता की विजय मानता हूं। जो लोग अनैतिक आचरण से प्राप्त सुविधाओं के सन्दर्भ में नैतिकता का मूल्यांकन करते हैं, वे इस तथ्य को भुला देते हैं कि वेश्या, चोर और डाकू की सम्पन्नता को सामाजिक मूल्य नहीं दिया जा सकता। अनैतिक तरीकों से धन का अर्जन करने वाला भी इन्हीं की कोटि में आता है, अतः उसकी सम्पन्नता को भी सामाजिक मूल्य नहीं दिया जाना चाहिए। सामाजिक मूल्य उसी सम्पदा को दिया जा सकता है, जो अपने श्रम से प्राप्त होती है, जिसमें दूसरे के श्रम का शोषण नहीं किया जाता और उसके अज्ञान का अनुचित लाभ नहीं उठाया जाता। मुफ्तखोरी अन्त तक कभी भी वरदान नहीं होती। इस प्रसंग में मैं एक कहानी कहना चाहता हूं, जो बहुत छोटी होने पर भी मूल्य की दृष्टि से बहुत बड़ी है
एक मेंढा और गाय पास-पास बंधे हुए थे। गाय के साथ एक बछड़ा था। बछड़े ने देखा, गृहस्वामी उसे सूखी घास खिलाता है और मेंढ़े को ओदन खिलाता है । यह क्रम कई दिनों तक चलता है। एक दिन बछड़े ने कहा- मां, तुम दूध देती हो, फिर भी अपने को सूखी घास मिलती है और यह मेंढ़ा कुछ भी नहीं देता फिर भी इसे बढ़िया माल मिलता है । यह पक्षपात क्यों, मां ?
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