________________
92 .
अहिंसा और अणुव्रतः सिद्धान्त और प्रयोग परिस्थिति यदि प्रभावित करती तो प्रसन्न रहने वाले को प्रभावित करती पर उसे कठिन परिस्थिति भी प्रभावित नहीं कर पाती। कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिनके दुःख सदा उद्दीप्त रहते हैं। कभी बात कर देख लो दुःख तैयार है, हीन भावना तैयार है, उदासी तैयार है, निराशा तैयार है। जितने निषेधात्मक और नकारात्मक भाव हैं, वे सब उनके पास बने के बने रहते हैं। इसका कारण है- स्वभाव।
किस व्यक्ति ने किस प्रकार के स्वभाव का निर्माण किया है। एक व्यक्ति ने प्रसन्न रहने के स्वभाव का निर्माण किया है तो दूसरे व्यक्ति ने खिन्न और दुःखी रहने के स्वभाव का निर्माण किया है। स्वभाव का निर्माण संवेगों के आधार पर होता है। जो व्यक्ति जिस प्रकार के संवेग में ज्यादा जीता है, उसका वैसा ही स्वभाव निर्मित हो जाता है। स्वभाव और संवेग
बहुत गहरा संबंध है संवेग और स्वभाव में। संवेग सूचक है स्वभाव का। स्वभाव बतला देता है कि अमुक व्यक्ति अमुक प्रकार के संवेग में जी रहा है। पहले संवेग को समझना जरूरी है। भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए संता की पहचान और भाव की पहचान जरूरी है। साहित्य में संवेगों की चर्चा आती हैस्थाई मनोभाव और संचारी मनोभाव । जो स्थाई भाव हैं, संचारी भाव हैं, वे संवेग हैं। कर्मशास्त्र में या अध्यात्म शास्त्र में जितनी कर्म की प्रकृतियां हैं, उतने ही संवेग बन जाते हैं।
उल्लास एक संवेग है। दुःख का भाव एक संवेग है। जो व्यक्ति उल्लास के संवेग में जीता है उसे दुःख कम छूता है या नहीं छूता। जो व्यक्ति दुःखभाव के संवेग में ज्यादा जीता है, बिना बुलाए उसके दुःख आ टपकता है, बुलाने की आवश्यकता ही नहीं होती, पास में ही रहता है। जरा-सा दरवाजा खोलो और वह भीतर आने को तैयार है।
भय एक संवेग है। हीन भावना और उत्कर्ष की भावना संवेग है। घृणा की भावना और काम-भावना संवेग है। ये सारे संवेग हैं । व्यक्ति स्वयं इस बात पर ध्यान दे कि वह किस प्रकार के संवेग में जी रहा है और उस संवेग में जीने पर उसमें किस प्रकार के स्वभाव का निर्माण हो रहा है।
___ स्वभाव और संवेग- दोनों जुड़े हुए हैं। जो व्यक्ति अपने स्वभाव को अच्छा बनाना चाहे, अपने भावनात्मक स्वास्थ्य को ठीक रखना चाहे, उसे संवेगों के प्रति बहुत जागरूक रहना होता है।
__जागरूकता जीवन की सफलता का बड़ा सूत्र है। हम जागरूक बनें अपने संवेगों के प्रति । कौन सा संवेग ज्यादा सक्रिय हो रहा है ? संवेग का मेरे स्वभाव पर क्या परिणाम होगा? इतनी सी जागरूकता आती है तो स्वभाव भी अच्छा बन जाता है. भावनात्मक स्वास्थ्य भी अच्छा बन जाता है, व्यवहार भी
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org