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अध्यात्मगीता.
निर्मल सकल स्वधर्म प्रकाश एटले एवंभूत नयने ते निर्मल कतां कर्मरूप मल थकी रहित, अने सकल कतां सम्पूर्ण, अने स्व कहेतां पोतानो, अने धर्म कहतां ज्ञानादि अनंतगुणरूप जे धर्म, अने प्रकाश कहेतां तेहनो सत्तागतनेविषे प्रकाशमतें प्रगटे. अने एहवी रीते ज्ञानादि अनंत गुण रूप धर्मनो प्रकाशमतें प्रगयो त्यारे, पूर्ण पर्याय प्रगटे पूर्ण शक्ति विलास एटले पूर्ण कहेतां संपूर्ण अने शक्ति कहेतां पर्याय रूप शक्तिना विलासपतें भोगवे ॥ १० ॥
हाल:
एम नय भंग संगे सनूरो। साधना
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