Book Title: Agamsaroddhar
Author(s): Devchandramuni
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 441
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६ अध्यात्मगीता. ३. अने भावपाप कहतां रिजु सूत्र नयने मते मन, वचन रूप, कायाये करी एकचिते व्यवहार नयने मते उपरथकी पाप रूप करणीनो करवो, ते सर्वे भावपाप जाणवो ४. हिवे आश्रव मे निक्षेपा लगावे छे. एटले नामआश्रव कहतां आश्रव ऐसो नाम, ते नैगम नयने मते त्रणे काल एक रूप पणे वत्त छे १. अने स्थापनाआश्रव कहतां आश्रय एहवा अक्षर लिखीने स्थापवा, ते संग्रह नयने मते असद्भाव स्थापना रूप आश्रव जाणवो, अने आश्रय रूप मूर्ति स्थापवाने संग्रह नयनें मते सद्भाव स्थापना रूप आश्रव जाणवो २. अने द्रव्यआश्रय कहतां बेतालीस प्रकार रूप www.kobatirth.org For Private And Personal Use Only

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