Book Title: Agamsaroddhar
Author(s): Devchandramuni
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 462
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अध्यात्मगीता. प्राण रूप पुद्गल सुं रहित. म्हारो खेल न्यारो छे ५८. __ अयोनी. एटले अयोनी कहता हुं चोरासी लाख जीवायोनी रुप परिभ्रमणपणा मुं रहित, निश्चय देव छु ५९. .. असंसारी. एटले असंसारी कहतां हुं चार गति रूप संसार सुं रहित; पूरण आत्माराम © ६०. __अमर. एटले अमर कहता हुं. जन्म, जरा, मरण रुप दुःख सुं रहित छु ६१. अपर. एटले अपर कहतां हुं सर्व परम्परा मुं रहित, म्हारो खेल न्यारो छे ६२. अव्यापी. एटले अव्यापी कहतां ए विभाव रूप जड़पणा सुं रहित, हुं म्हारा www.kobatirth.org For Private And Personal Use Only

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