Book Title: Agamsaroddhar
Author(s): Devchandramuni
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 469
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अध्यात्मगीता. प्रदेश अने अगुरु लघु जाणवो ३. हिवे आकास्तिकायनो स्वरूप कहे छे. एटले निश्चयथकी आकास्तिकायनो खंध लोकालोकव्यापी अनन्त प्रदेशी शाश्वती छे, अने व्यवहार नय करी देश प्रदेश अनें अगुरुलघु जाणवा ४. हिवे कालनो स्वरूप कहे छे. एटले निश्चय थकी कालनो एक समय लोकमे सदाकाल शाश्वतो वर्ने छे. अने व्यवहार नय करी काल उत्पांत, व्यय रूप पलटण स्वभावे जाणवा ५. हिये पुद्गलनो स्वरूप कहे छे. एटले निश्चय नये करा पुद्गलना अनंता परमाणु लोक में सदाकाल शाश्वता वर्ते छे. अने व्यवहार नये करी पुद्गलना खंध सर्वे www.kobatirth.org For Private And Personal Use Only

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