Book Title: Agamsaroddhar
Author(s): Devchandramuni
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

View full book text
Previous | Next

Page 468
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अध्यात्मगीता. १८९ हिवे मोक्षनी:कर्मावस्थानी स्वरूप कहे छे. एटले व्यवहार नये करी मोक्ष तेरमे चवदबे गुणस्थाने केवलीन कहिये. अने निश्चय नये मोक्षपद कहतां जे सकल कर्म क्षयकरी लोकने अंते विराजमान एहवा सिद्ध परमात्माने जाणवो एणी रीते नवतत्वनो स्वरूप निश्चय व्यवहार करी धारवो. हिवे पट द्रव्यनो स्वरूप निश्चय व्यवहार नय रूप ओलखावे छे. तिहां प्रथम जीवनो स्वरूप आगल कह्यो ते प्रमाणे जाणवो १. हिवे धर्मास्तिकाय २. अधर्मास्तिकायनो स्वरूप कहे छे. एटले निश्चय नयथकी धर्म अधर्म लोकव्यापी खंध असंख्यात प्रदेश रूप शाश्वतो के अने व्यवहार नयकरी देश www.kobatirth.org For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480