Book Title: Agamsaroddhar
Author(s): Devchandramuni
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 472
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अध्यात्मगीता. ढाल:वस्तु तत्वै रम्या ते निग्रंथ । तत्व अभ्यास तिहां साधु पंथ ॥ तिणे गीतार्थ चरणे रहोजे । शुद्ध सिद्धांत रस तो लहोजे ॥ ४७ ॥ ____ अर्थः-वस्तु तत्व रम्या ते निग्रंथ. एटले वस्तु तत्व कहतां पोताना आत्मानो वस्तु धर्म सत्तागतने विधे अनन्तो रह्यो छे, ते धर्मने ओलखी, प्रतीत करी, अने रम्या कहतां तेहना च्यानने विषे प्रवा. अने वली ए मुनि केहवा छे ? तो के निग्रंथ. एटले निग्रंथ कहतां, चौदह अभ्यंतर, नव विध बाह्यनी गंठो तजे मुनिराज. एटले चौदह www.kobatirth.org For Private And Personal Use Only

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