Book Title: Agamsaroddhar
Author(s): Devchandramuni
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
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अध्यात्मगीता.
२७५
वस्तु मने मली छे, ते सर्वे अशाश्वती है १३. म्हारो ज्ञानादि रूप छे, आपुदगलनो पुरण गलण रुप छे. १४.
म्हारो अचलित स्वभाव छे. एटले किवारे स्वरूपथकी चलूं नहीं, अने पुद्गलनो चलित स्वभाव छे ९१५.
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म्हारो ज्ञान, दर्शन, चारित्र, मयी स्वरुप छे, आपुदगलनो वर्णगंधादि रूप छे, हुं वर्णगंधादिक सुं रहित छं १६.
सुधोहं. एटले सुधोहं कहतां हुं शुद्ध निर्मल छं १७.
बुधोहं. एटले बुधोहं कहतां हुं ज्ञानानंद
निर्विकल्पोऽहं. एटले निर्विकल्पोहं कहतां
छं १८.
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