Book Title: Agamsaroddhar
Author(s): Devchandramuni
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

View full book text
Previous | Next

Page 455
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १७६ अध्यात्मगीता. हुं सर्वे विकल्प सुं रहित छु म्हारो स्वरूप न्यारो छे १९. देहातीdist. एटले देहातीतोऽहं कहतां आ देह रूप जे शरीर तेह थकी हुं रहित छं. २०. अने अज्ञान राग द्वेष रूप जे आश्रव ते म्हारो स्वरूप नहीं, हुं एण सो न्यारो छं. २१. अनंत ज्ञानमयी, अनंत दर्शनमयी, अनंत चारित्रमयी, अनंत वीर्यमयी ए म्हारो स्वरूप छे. २२. शुद्ध. एटले शुद्ध कहतां हुं कर्म रुप मलमुं रहित हूं २३. बुद्ध. एटले बुद्ध कहता हु ज्ञानस्वरूपी छं. २४. www.kobatirth.org For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480