Book Title: Agamsaroddhar
Author(s): Devchandramuni
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 447
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अध्यात्मगीता चार प्रकार बंध रूप दलीयां जीवनी सत्ताये बांध्यां छे; ते संग्रह नयने मते कर्मसत्ता रूप भव शरीर आश्रय द्रव्यबंध जाणवो ३. अने भावबंध कहतां जे व्यवहार नयने मते ते दलीयानो उदय थयो, ते उदय भाव रूप भाव बंध जाणवो ४. एणी रीते उदय भाव रूप बंध त्रण नयमां ए च्यार निक्षेपा जाणवा. बली नामथकी बंध कहतां जे बंध ऐसो नाम, ते नैगम नयने मते जाणवो १. अने स्थापना थकी बंध कहतां जे बंध ऐसा अक्षर लिखवा अथवा बंध रूप मूर्ति स्थापवी, ते स्थापना रूप बंध जाणवो २. अने द्रव्यबंध कहतां जे आगल चार प्रकारे बंध रूप www.kobatirth.org For Private And Personal Use Only

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