Book Title: Agamsaroddhar
Author(s): Devchandramuni
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

View full book text
Previous | Next

Page 444
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अध्यात्मगीता. ऐसो नाम, ते नैगम नयये मते जाणवो १. अने स्थापना थकी संवर कहता जे संवर ऐसा अक्षर लिखोनें स्थापवा, ते संग्रह नयने मते असद्भाव स्थापना रूप संवर जाणवो. अने संवर रूप मूर्ति स्थापवी, ते संग्रह नयने मते सद्भाव स्थापना रूप संवर जाणवो २. अने द्रव्यसंवर कहतां जे रिजु सूत्र नयने मते मन, वचन, कायाये करी व्रत पचक्वाण रूप उपरथकी व्यवहार नयने मते संवर रूप करणीनो करवो, ते सर्वे तद्वित शरीर आश्रय द्रव्य संवर जाणवो ३. अने भाव संवर कहतां जे शब्द नयने मते जीव अजीव रूप, स्वसत्ता पर सत्तानी वेचण करी स्थिरता रूप परिणामे आगल द्रव्य निक्षेपा www.kobatirth.org For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480