Book Title: Agam Sutra Satik 14 Jivajivabhigam UpangSutra 03
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 236
________________ २३३ प्रतिपत्तिः - ३, दीव० एवं पंतीओ वीहीओ मिहुणगा, दो दो पउमलयाओ जाव पडिरूवाओ तेसिणं तोरणाणं पुरतो (अक्खाअसोवत्थिया सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा) तेसि णं तोरणाणं पुरतो दो दो चंदनकलसा पन्नत्ता, तेणं चंदनकलसावरकमलपइट्टाणातहेव सव्वरयणामयाजाव पडिरूवा समणाउसो!। तेसिणंतोरणाणंपुरओदोदोभिंगारगाप० वरकमलपइहाणाजाव सब्बरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा महतार मत्तगयमुहागितिसमाणा प० समणाउसो!! तेसि णं तोरणाणं पुरतो दो दो आतंसगा पन्नत्ता, तेसि णं आतंसगाणं अयमेयारवे वण्णावासे पन्नत्ते, तंजहा-तवणिजमा पयंठगा वेरुलियमया छरुहा (थंभया) वइरामयावरंगा नानामणिणा वलक्खा अंकमया मंडला अणोघसियनिम्मलासाए छायाए सव्वतो चेव सगणुबद्धा चंदमंडलपडिणिकासा महतामहता अद्धकायसमाणा पन्नत्ता समणाउसो!। तेसि णं तोरणाणं पुरतो दो दो वइरनाभे थाले पन्नत्ते, ते णं थाला अच्छतिच्छडियसालितंदुलनहसंदट्ठबहुपडिपुण्णा चेव चिट्ठति सव्वजंबूणतामता अच्छा जावपडिरूवा महतामहता रहचक्कसमाणा समणाउसो!। तेसिणं तोरणाणंपुरतोदोदो पातीओपन्नताओ, ताओणं पातीओअच्छोदयपडिहत्याओ नानाविधपंचवण्णस्स फलहरितगस्स बहुपडिपुन्नाओ विव चिट्ठति सव्वरयणामतीओ जाव पडिरूवाओ महयामहया गोकलिंजगचक्कसमाणाओ पन्नत्ताओ समणाउसो!। तेसिणं तोरणाणंपुरतो दो जो सुपतिहगा पन्नता, तेणंसुपतिट्ठगा नानाविध(पंचवण्ण)पसाहणगभंडविरचिया सब्बोसधिपडिपुण्णा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा ।। तेसिणं तोरणाणं पुरतो दो दो मनोगुलियाओ पन्नत्ताओ। तासुणंमनोगुलियासुबहवे सुवण्णरुप्पामया फलगा पन्नत्ता, तेसुणंसुवण्णरुप्पामएसु फलएसु बहवे वइरामया नागदंतगा मुत्ताजालंतरुसिता हेम जाव गयंदगसमाणा पन्नत्ता, तेसु णं वइरामएसु नागदंतएसुबहवेरययामया सिक्कया पन्नत्ता, तेसुणंरययामएसु सिक्कएसुबहवे वायकरगा पण्णत्ता । तेणं वायकरगा किण्हसुत्तसिक्कगवत्थिया जाव सुक्कलसुत्तसिक्कगवस्थिया सव्वे वेरुलियामया अच्छा जावपडिरूवा। तेसि गं तोरणाण पुरओ दो दो चित्ता रयणकरंडगा पन्नत्ता, से जहानामए-रन्नो चाउरंतचक्कबहिस्स चित्ते रयणकरंडे वेरुलियमणिफालियपडलपच्चोयडे साए पभाए ते पदेसे सव्वतो समंता ओभासइ उजोवेति तावेई पभासेति, एवामेव ते चित्तरयणकरंडगा पन्नत्ता वेरुलियपडलपच्चोयडा साए पभाए ते पदेसे सव्वतो समंता ओभासेति। तेसिणं तोरणाणंपुरतो दो दो हयकंठगा जावदो दो उसभकंठगा पन्नत्ता सव्वरयणामया अच्छा जाव पडित्वा ।। तेसु णं हयकंठएसु जाव उसभकंठएसु दो दो पुप्फचंगेरीओ, एवं मल्लगंधचुण्णवत्याभरणचंगेरीओसिद्धत्यचंगेरीओ लोमहत्यचंगेरीओसव्वरयणामतीओअच्छाओ जाव पडिस्वाओ। तेसि णं तोरणाणं पुरतो दो दो पुष्फपडलाइं जाव लोमहत्थपडलाइं सव्वरयणामयाई जाव पडिरूवाई। तेसिणं तोरणाणं पुरतो दो दो सीहासणाइंपन्नत्ताई, तेसिणं सीहासणाणं अयमेयारवे वण्णावासे प० तहेव जाव पासातीया ४/ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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