Book Title: Agam Sutra Satik 14 Jivajivabhigam UpangSutra 03
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 523
________________ 18] (१४) जीयाजीवाभिगम- *प्रतिपत्तिः/* उद्देशकः/मूलं આ આગમમાં ફક્ત ત્રણ વિભાગો કર્યા છે તો પણ સમજણ માટે પ્રતિપત્તિ પછી એક પેટાવિભાગ नोधनीय छे. 34 प्रतिपत्ति -३-भा नेरइय, तिरिक्खजोणिय, मनुष्य, देव भेवा ॥२ विभागो पई छ. या तिपत्ति/(नेरइयआदि)/उद्देशकः/मूलं शते स्पष्ट ससस पाउदा छ, ४ र ६भी प्रतिपत्ति न्य उद्देशकः ननधी पक्ष पेटविलास प्रतिपत्तिः ना ४ छ. (१५) प्रज्ञापना- पदं/उद्देशकः/द्वार/मूलं ___ पदना पेट qिAunti sais उद्देशकः छ, is द्वार छ ५९० ५८-२८न। पेट पिला उद्देशकः અને તેના પેટા વિભાગમાં તરં પણ છે. (१६) सूर्यप्रज्ञप्ति- प्राभृतं/प्राभृतप्राभृतं/मूलं (१७) चन्द्रप्रज्ञप्ति- प्राभृतं/प्राभृतप्राभृतं/मूलं भा14 15-१७म प्रामृतप्रामृत ना पक्ष प्रतिपत्तिः नाम पे विमा छ. १९३ उद्देशकः ut મુજબ તેનો વિશેષ વિસ્તાર થાયેલ નથી. (१८) जम्बूदीपप्रज्ञप्ति- वक्षस्कारः/मूलं (१९) निरयावलिका - अध्ययन/मूलं (२०) कल्पवतंसिका - अध्ययन/मूलं (२१) पुष्पिता - अध्ययनं/मूलं (२२) पुष्पचूलिका - अध्ययन/मूलं (२३) वण्हिदशा - अध्ययन/मूलं मार. १८ थी २३ निरयावलिकादि नमधी साधे सोपा भने ने 641710 4 तरी सूत्रधार शोणावे॥छे. भi [-1, निरयावलिका, वर्ग-२ कल्पवतंसिका... १२ वा (२४ थी ३३) चतुःशरण (आदि दशेपयत्रा) मूलं (३४) निशीय - उद्देशकः/मूलं (३५) बृहत्कल्प - उद्देशकः/मूलं (३६) व्यवहार - उद्देशकः/मूलं (३७) दशाश्रुतस्कन्ध - दशा/मूलं (३८) जीतकल्प - मूलं (३९) महानिशीथ - अध्ययनं/उद्देशकः/मूलं (४०) आवश्यक - अध्ययन/मूलं (४१) ओघ/पिण्डनियुक्ति - मूलं (४२) दशवैकालिक - अध्ययनं/उद्देशकः/मूलं (४३) उत्तराध्ययन - अध्ययनं//मूलं (४४- ४५) नन्दी-अनुयोगद्वार - मूलं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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