Book Title: Agam Sutra Satik 14 Jivajivabhigam UpangSutra 03
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 462
________________ प्रतिपत्तिः - ५, ४५९ तदेव बादरस्यान्तरपरिमाणं सूक्ष्मस्य च कायस्थितिपरिमाणमेतदेवेति। बादरपृथिवीकायिकसूत्रे जघन्यतोऽन्तर्मुहूर्तमुत्कर्षतोऽनन्तं कालं, स चानन्तः कालो वनस्पतिकालः प्रागुक्तस्वरूपो वेदितव्यः।। एवं बादराप्कायिकबादरतेजस्कायिकसूत्राम्यपि वक्तव्यानि । सामान्यतो बादरवनस्पतिकायिकसूत्रे जधन्यतोऽन्तर्मुहूर्तमुत्कर्षतोऽसङ्घयेयंकालं, सचासङ्ख्येयः कालः पृथिवीकालो वेदितव्यः, स चैवम्-असङ्खयेया उत्सर्पिण्यवसर्पिण्यः कालतः क्षेत्रतोऽसङ्खयेया लोकाः । प्रत्येकबादरवनस्पतिकायिकसूत्र बादरपृथिवीकायिकसूत्रवत्, सामान्यतोनिगोदसूत्रंचसामान्यतो बादरवनस्पतिकायिकसूत्रवत्, बादरत्रसकायिकसूत्रं बादरपृथिवीकायिकसूत्रवत्। एवमपर्याप्तविषयां दशसूत्री पर्याप्तविषया च दशसूत्री यथोक्तक्रमेण वक्तव्या, नानात्वाभावात् ॥ साम्प्रतमल्पबहुत्वमाह मू. (३६२) अप्पा० सव्वत्थोवा बायरतसकाइया बायरतेउकाइया असंखेजगुणा पत्तेयसरीरबादरवणस्सति० असंखेजगुमाबायरणिओया असंखे० बायरपुढविअसंखे० आउबाउ असंखेजगुणा बायरवणस्सतिकाइया अनंतगुणा बायरा विसेसाहिया १ एवं अपज्जत्तगाणवि २४ पजत्तगाणं सव्वत्थोवा बायरतेउक्काइया बायरतसकाइया असंखेनगुणा पत्तेगसरीरबायरा असंखेनगुणा सेसा तहेव जाव बादरा विसेसाहिया ३। एतेसिणं भंते ! बायराणं पजत्तापजत्ताणं कयरे २!, सव्वत्थोवा बायरा पजत्ता बायरा अपजतगा असंखेजगुणा, एवं सब्वे जहा बायरतसकाइया ४ । एएसिणंभंते! बायराणं बायरपुढविकाइयाणंजाव बायरतसकाइयाण य पञ्जत्तापजताणं कयरे २ ?, सव्वत्थोवा बायरतेउक्काइया पजत्तगा बायरतसकाइया अपज्जत्तगा असंखेजगुणा पत्तेयसरीरबायरवणस्सतिकाइया पजत्तगा असंखेजगुणा बायरणिओया पञ्जत्तगा असंखेज० पुढविआउवाउपज्जत्तगाअसंखेजगुणाबायरतेउअपञ्जत्तगा असंखेनगुणा पत्तेयसरीरबायरवनस्सतिअप० असंखे० बायरा निओया अपजत्तगा असंखे० बायरपुढविआउवाउ अपज्जत्तगा असंखेनगुणा बायरवनस्सइ पञ्जत्तगा अनतगुणा बायरपज्जत्तगा विसेसाहिया बायरवनस्पति अपज्जत्ता असंखगुणा बायरा अपज्जत्तगा विसेसाहिया बायरा प० विसेसाहिया ५/ एएसि णं भंते ! सुहुमाणं सुहमपुढविकाइयाणं जाव सुहुमनिगोदाणं बायराणं बायरपुढविकाइयाणं जाव बायरतसकाइयाण य कयरेशहितो०? । गोयमा! सव्वत्थोवा बायरतसकाइया बायरतेउकाइयाअसंखेजुणा पत्तेयसरीरबायरवणा असंखे० तहेव जाव बायरवाउकाइया असंखेजगुणा सुहुमतेउक्काइया असंखे० सुहमपुढवि० विसेसाहिया सुहुमआउ० सुहुमवाउ० विसेसा० सुहुमनिओया असंखेजगुणा बायरवणसतिकाइया अनंतगुणा बायराविसेसाहिया सुहुमवणस्सइकाइया असंखे० सुहुमा विसेसा०॥ एवं अपजत्तगाविपज्जत्तगावि, नवरि सव्वत्थोवा बायरतेउक्काइया पजत्ता बायरतसाइया पजत्ता असंखेजगुणा पत्तेयसरीर० सेसं तहेव जाव सुहमपजता विसेसाहिया। एएसिणं भंते ! सुहुमाणं बादराण य पजत्ताणं अपञ्जत्ताण य कयरे २१०, सव्वत्थोवा बायरा पजत्ता बायरा अपज्जत्ता असंखेजगुणा सव्वत्थोवासुहुमा अपज्जत्ता सुहमपजत्ता संखेज्जगुणा, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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