Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 02
Author(s): Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

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Page 275
________________ प्रत्याख्यान ॥२७॥ SHESARIBAGRA अतिस्थापनक्याणं जहा अतिस्थ बमणाण एवमादि । पदिसेहपथक्वाणं गरिष में जं तुमं मम्गसि । मावपच्चासाणं त्याव्या. | दुबिह-सुतपच्चक्खाणं णोसुतपच्चक्खाणं च, ज त सुतपच्चक्खाणं तं दुविह-पुम्बसुतणोपुल्वसुतपच्चरखाणं, पुन्यसुतपणाम | पुच्च पवमं जसं, गोपुज्वमुतपच्चस्खाणं तं अगंगविहं, २० अातुरपच्चक्दाणं महापच्चक्खाण, इर्म पच्चक्खापज्झयणं ट्र मेदाः | जोसुतपच्चक्खाणं,तं दुविहं-मूलगुणपच्चक्खाणं उत्तरगुणपन्चक्खाणं च, जंतं मूलगुणपञ्चक्खाणं तं दुविहं-सव्वमूलगुणपञ्चक्खाणं | देसमूलगुणपच्मक्खाणं च,सच्चमूल पंच महत्वता,देसगुणमूलपञ्चक्खाणं च पंच अणुष्वता,उत्तरगुणपञ्चक्खाणं दुविहं सव्वुसरगुणपच्चस्खाणं देसुत्सरगुणपच्चकखाणं च, सबुत्तरगुणप०दसावहं अणागतमतिकतं०॥१६६१।।एतं दसविह,देसुत्तरगुणपच्चक्खाणं सत्तविहं विधि गुणव्वताणि चत्तारि सिक्खावताणि, एवं सत्तविह, अहवा उत्तरगुणपञ्चरखाणं दुविहं-इतिरिय आवकाहयं, जथा| ४ाणियंटित, तं दुरिखमादिसुवि ज पडिसवति, सारगाणं च तिमि गुणन्वतानि आवकहिताणि, साधूर्ण केति अभिग्गइविसेसा साब-131 लि गाणं च तिमि गुणबतानि आवकहिताणि,साधुणं कति अभिग्गाविसेसा सावगाणं चत्तारि सिक्खावताणि इत्तिरियाणिति,तत्प जसं सब्वमूलगुणपच्चक्खाणं तस्थिमा गाथा पाणवह मुसाबाए॥२४ामालासमणाणं जे मूलगुणा ने सम्बमूलगुणपच्चस्खा ४गति मण्णति, तंजथा सवाओ पाणातिवाताओ वेरमणं, तिविहं तिविहेणंति जोमत्तिय करणत्तियं च गहितं, पय विविवि न करेमि न कारवमि करसपि अण्णं ण ममशुजाणामि, तिविहंति मणसा पयसा कायसा | एवं पंचसु महब्बतेसु मणितव्वं ।। २७॥ इदाणि देसमूलगुणा एते चेव देसओ पच्चक्खाति, सावयाण पंचविई इर्म-धूलाडो पाणातिवायायो घेरमणं जाव इच्छापरिमाण । तत्थ ताव मावगधम्मस्स विधि वोच्छामि से पुण सावगा दुषिहा-साभिग्गहा य गिरमिग्गहा य० ॥ १६५४ ॥ XXNXSAKXॐॐ

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