Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 02
Author(s): Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

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Page 312
________________ प्रत्याख्यान चूर्णिः दश प्रत्याख्यानानि ॥३१॥ णिरागारं पच्चस्खाति । परिमाणकई नाम दत्ता, अन्ज मम एक्का वा २, ३, ४, ५, ६, ७, ८, ९, १०, किं च दत्तीए पमाणं १, छप्पर्कपि जदि एक्कमि छुम्मति एक्का दनी, डोविलयपि जदि बारे पफ्फोडेति तावयियातो दत्तीतो, एवं कब-टू |लेज एक्केण होहिं जाय पत्तीमा, दोहि ऊणगा कवलेहि परेहिं एगमादिरहिं २, ३, ४, ५, ६, ७, मिक्खातो एगादियातो, दर्ष | अलग ओदणों सज्जगविही वा जहा अज्ज आयंबिलं काय अमुर्ग वा कूसणं सीहकेसरगा वा एवमादिविभासा, एवं परिमा कटं । जो असणस्स सनविहम्मवि वोसिरति, पाणगाण पुण विविहाणं खंडपाणगादाणं, खातिम णेगविहं फलमादि, सातिम गविह मधुमादि, तं सर्व वोसिरति । एवं निरवसेसं पच्चक्खाणं । साकेयं णाम केयमिति गृहल्याख्या, गृहवामिना प्रत्या ख्यानमिन्युक्तं भवति, द्वितीयोऽर्थः- केयं णाम चिण्डं पन्चक्खाणे जाव एवं ताच ण जेमिमित्ति । तत्थ गाथा अंगुह । २०-३७ *॥ १६७४ ।। सावतो पोरिमि परचक्खाइना खर्च गतो, घरे वा ठियस्स ण ताव सिज्मति, ताहे किर न बमृति ता अपचक्खा| जिस्स अच्छिउँ ताहे अंगुढगमुटुं करेति जाव ण मुयामि ताव न जमिमिति जाव चा मुद्विमुयामि जाव वा गठिं न मुयामि एवं जाव घरंण पचिमामि जाव सेदो ण णस्सति जाव एवतियातो उस्मासा जाब एवतियातो नीसासा घिभागो पाणे मंचियाए चा जाव देवता जलंति नाव न संजामिति, ण केवलं मत्ते, अण्णेसुवि अभिग्गदविसेसेसु । अण्णे भणंति-सम्बंपि संकेतपच्चक्खाणे |साहुणावि कायध्वनि.पुण्णे काले कि अपरचक्लाणिणा अच्छियव्यंति ॥ असा नाम कालः, कालो यस्स परिमाणं तं कालेण अबरदंति कालपच्चक्खाणं, णमोस्कारपोरिसि०।। २०-३८ ॥१६९३।। नमोक्कारपोरिमि पुरिमहं परिलमडादि अदभास मामा,नमद्देण दो दिवमा तिमि दिवमा मासे वा जाव छम्मामोति पच्चासाति। ३१॥

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