Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 02
Author(s): Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

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Page 328
________________ ख्यान चूर्णि // 325 // सम्मत्तो / गाणि मया। ते य जहा पुच्वं, तत्थ दुवे नया-अजमायणणतोय करणणतो य / अज्मयणणतो णायम्मि गिणिह- दामभक #यब्वे // 1718 // करणणतो य सम्वेसिपि नयाणं० // 1719 / / पच्चक्खाणायणचुण्णी सम्मत्ता / / कवाः शुभ मवतु कल्याणमस्तु श्रीरस्तु / प्रे०१९सहमाः। यादृर्श पुस्तके दृष्टं तादृशं लिखितं मया / यदि शुद्धमशुद्ध वा,मम दोषो न दीयते 131 | // 1 // यावलवणसमुद्री यावनक्षत्रमंडितो मेरुः। यावचन्द्रादित्यौ, ताबदिदं पुस्तकं जयतु / / 2 / / जलाशेद तैलाद्रक्षेद्रवेच्छि पलबंधनात् / परहस्ते न दातव्या, एवं वदति पुस्तिका / / 3 // सं० 1774 वर्षे पं. दीपविजयगणिना आवश्यकचूर्णिः | पं० श्रीन्यायसागरगाणिम्यः प्रदत्ता // ....... Ni आवस्सगनिज्जुत्तिचुण्णी सम्मचा॥ 4475... पाह Pr . .... - ~.. .. htra.. FI . . . चना ,*" www // 325 // R aature .

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