Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 02
Author(s): Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

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Page 286
________________ प्रत्यारूमान वृर्णिः ॥९८४॥ उपगूढो य, पडिवक्ख निग्ग का मणिप्रो-किं ते वरं देखि १, तेण णिरुज्झमाणेनावि पब्वज्जा चरिता, पव्वतों, एवमादि इहलोगे, परलोगे सुदवत्तसुमाजुसतदीहाउपादिणो उदाहरणं वीरं मणिहिति । जयगाए य वट्टितष्वं परिसुद्धजलग्गहणं दास (गोम) गघण्णादियाण य तहेब । गहिलाणवि परिभोगो विधीए तसरक्खणद्वार ॥ १॥ एवं सो सावगो धूलगपाणाविषातातो नियतिं कातुं पंचतियारसुद्ध मजुवालेति, गुणवेयालो नाम परिमाणं, पच्छा ण समायरियन्वा ॥ के अतियारा १, पंच-बंधो वहो छविच्छेदो अतिभारो मतपाणवच्छेदो | बंधी दुविहो-दुपदाणं चतुष्पदाणं च अड्डाए अबहाए य, अणट्टाए ण वति, अट्टाए सावेक्खो गिरवेकले य, णिरवेकखो णिच्चलं घणितं वज्झति, साविक्खो जं संचरपासएण आलीबणगादिसु य जं सकेति चितुं वा दामगंठिगा एवं चतुष्पदाणं, दुपदाणं दासी वा चोरो वा पुसो वा ण पतओ तेष सविकमाणि तं तव्वाणि रक्खितन्त्राणि य जथा अग्गिमयादिसु ण विणस्संति, वारिसयाणि किर दुप्पयचउप्पयाणि सावरण मण्डितत्राणि जाणि अबद्वाणि चैव अच्छंतीति । बड़ोऽवि तद्देव, अणट्ठाए जिरवेक्खो गिद्दयचेणं, साविक्खो पुत्रं मीतपरिसेज होतव्त्रं, जदि म करेज्जा ताहे मंमं मोतूण गलिताए (लताए) दोरेण वा, एवं दो तिथि बारे वालेज्जा एवमादि विभासणं । छविच्छेदो अण्डाए तहेब णिरवेक्खो इत्थपायकण्णणक्खाणं विद्यचार, सादिक्खो गंड वा जरति वा छिंदेज्जा दहेज्ज वा, चतुष्पदो कृष्णे लंखिज्जवि एवमादि विभासा । अतिभारो ण आरोवेतब्बो, पुत्रं ताब एवं जा वहणाए जीविता सा मोचब्बा, अह ण होज्जा अष्णा जीविता दुपए जथा सर्व उक्खिवेति ओयारेति एवं वाहिज्जति, बङ्गलादीणं जथा सामाविवाजवि मराओ ऊणओ कीरवि, इलसगडेसुदि वेलाए यति, जासहत्थी सुवि एस विधी । भत्तपाणयोच्छेदो ग कातन्वो, विक्खछुहाए वा मरेज्जा, वाहे जण ***** स्थूलप्राणाति पात विरमर्ण 586 ॥ २८४॥

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