Book Title: Agam 38 Chhed  05 Jitkalpa Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai

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Page 9
________________ %%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%C2 HOROS85030355555 (३८-१० जीयकम्प सुत्त पंचम छेयसुतं [8] 1590090050sxssRENong सिरि उसहदेव सामिस्स णमो। सिरि गोडी - जिराउला - सव्वोदयपासणाहाणं णमो। नमोऽत्थुणं समणस्स भगवओ महइ महावीर वद्धमाण सामिस्स। सिरि गोयम - सोहम्माइ सव्व गणहराणं णमो। सिरि सुगुरु - देवाणं णमो। ३८ जीयकप्प - सुत्तं पंचम छेयसुत्तं कय- पयवण-प्पणामो वोच्छं पच्छित्तदानं - संखेवं जीयव्ववहार - गंय जीयस्स विसोहणं परमं ॥१॥ संवर - विनिज्जराओ मोक्खस्स पहो तवो पहो तासिंतवसोय पहाणंगं पच्छित्तं जंच नाणस्स ॥२॥ सारो चरणं तस्स वि नेव्वाणं चरण - सोहणत्थं च पच्छित्तं तेण तयं नेयं मोक्खत्थिणाऽवस्सं ||३|| तं दसविहमालोयण पडिकमणोभय विवेग वोस्सग्गे तव छेय - मूल - अणवक्कया य पारंचिए चेव ॥४॥ करणिज्जाजे जोगा तेसुवउत्तस्स निरइयारस्स छउमत्थस्स विसोही जइणो आलोयणा भणिया ।। ५ ।। आहाराइ - गहणे तह बहिया निग्गमेसुऽणेगेसु उच्चार - विहारावणि - चेइय - जइ - वंदणाईसु ॥६।। जं चऽन्नंकरणिज्जं जइणो हत्थ - सय - बाहिरायरियं अवियडियम्मि असुद्धो आलोएंतो तयं सुद्धो॥७॥ कारण - विणिग्गयस्स यस - गणाओ पर - गणागयस्स वि य उवसंपया - विहारे आलोयण - निरइयारस्स ।। ८|| गुत्ती - समिइ - पमाए गुरुणो आसायणा विनय - भंगे इच्छाईणमकरणे लहुस मुसाऽदिन्न - मुच्छासु ॥९॥ अविहीइ कास - जंभिय - खुय - वायासंकिलिठ्ठ - कम्मेसुकंदप्प - हास - विगहा - कसाय - विसयाणुसंगेसु ॥१०॥ खलियस्स य सव्वत्थ वि हिंसमणावज्जओ जयंतस्स सहसाऽणाभोगेण व मिच्छाकारो पडिक्कमणं ॥ ११ ॥ ओभोगेण वि तणुएसु नेह - भय - सोग - वाउसाईसु कंदप्प - हास - विगहाईएसु नेयं पडिक्कमणं ॥ १२॥ संभम - भयाउरावइ - सहसाउणभोगप्प - वसओ वा सव्व - वयाईयारे तदुभयमासंकिए चेव ॥ १३ ।। दुच्चितिय - दुब्भासिय - दुच्चेट्ठिय - एवमाइयं बहुसो उवउत्तो वि न जाणइ जं देवसियाइ - अइयारं॥ १४ ॥ सव्वेसु वि बीय - पए दंसण - नाण - चरणावराहेसु आउत्तस्स तदुभयं सहसक्कराराइणा चेव ॥१५॥ पिंडोवहि - सेज्जाई गहियं कडोगिणोवउत्तेण । पच्छा नायमसुद्धं सुद्धो विहिणा विगिचंतो ॥ १६ ॥ कालऽद्धाणाइच्छिय - अनुग्गयत्थमिय - गहियमसढो उ कारण - गहि - उव्वरियं भत्ताइ - विगिचियं सुद्धो ॥ १७|| गमणागमण - विहारे सुयम्मि सावज्ज - सुविणयाईसु नावा - नइ - संतारे पायच्छित्तं विउस्सग्गो ॥१८॥ भत्ते - पाणे सयणासणे य अरिहंत - समण - सेज्जासु उच्चारे पासवणे पणवीसं होति ऊसासा ॥१९॥ हत्थ - सय - बाहिराओ गमणाऽऽगमणाइएसु पणवीसं पाणिवहाई - सुविणे सयमठ्ठसयं चउत्थम्मि ॥२०॥ देसिय - राइय - पक्खिय - चाउम्मास - वरिसेसु परिमाणं सयमद्धं तिन्नि सया पंच - सयऽद्भुत्तरसहस्सं ॥२१ ।। उद्देस - समुद्देसे सत्तावीसं अनुण्णवणियाए। अद्वैव य ऊसासा पठ्ठवण - पडिक्कमणमाई ।। २२ ।। उद्देसऽज्झयण - सुयक्खंधंगेसु कमसो पमाइस्स कालाइक्कमणाइसुनाणायाराइयारेसु ॥२३॥ निव्विगइय - पुरिमड्ढेगभत्त - आयंबिलं चणागाढे पुरिमाई खमणंतं आगाढे एवमत्थे वि ॥ २४ ॥ सामन्नं पुण सुत्ते मयमायामं चउत्थमत्थम्मि अप्पत्ताऽपत्ताऽवत्त - वायणुद्देसणाइसु य ॥२५॥ कालाविसज्जणाइसु मंडलि - वसुहाऽपमज्जणाइसु य निव्वीइयमकरणे अक्ख - निसेज्जा अभत्तट्ठो ॥२६।। आगाढाणागाढम्मि सव्व - भंगे य देस - भंगेयजोगे छठ्ठ - चउत्थं चउत्थमायंबिल कमसो ॥ २७ ॥ संकाइएसु देसे खमणं मिच्छोवबूहणाइसु य पुरिमाई खमणतं भिक्खु - प्पभिईण व चउण्हं ॥ २८ ।। एवं चिय पत्तेयं उवबूहाईणमकरणे जइणं आयामतं निव्वीइगाइ पासत्थ - सड्ढेसु ।।२९|| परिवाराइ - निमित्तं ममत्त - परिपालणाइ वच्छल्ले साहम्मिओ त्ति संजम - हेउं वा सव्वहिं सुद्धो ॥ ३०॥ एगिदियाण घट्टणमगाढ - गाढ - परियावणुद्दवणे । निव्वीयं पुरिमड्ढं आसणमायामगं कमसो ॥ ३१ ॥ पुरिमाई खमणतं अनंत - विगलिदियाण पत्तेयं पंचिदियम्मि एगासणाइ कल्लाणयमहेगं ॥ ३२ ॥ मोसाइसु मेहुण - वज्जिएसु दव्वाइ - वत्थु - भिन्नेसु हीणे मज्झुक्कोसे आसणमायाम - खमणाई ।। ३३ ॥ लेवाडय - परिवासे अभत्तट्ठो सुक्क - सन्निहीए य इयराए छ? - भत्तं अट्ठमगं सेस - निसिभत्ते ॥३४ ।। उद्देसिय - चरिम - तिगे कम्मे पासंड - स - घर - मीसे 過失明明明明明明明明明明明明明明明明明劣明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明乐明明听听听听听心C區 %%%%%%% XC%%%%%%% (सौन्य :- श्री हंसरा लामा शाह परिवार नपायास (5२७) प्रेरणा - जीशमार (राया)) MOO555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा- १४६३ 59555555555555555555555556TOR

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