Book Title: Agam 38 Chhed 05 Jitkalpa Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha Author(s): Gunsagarsuri Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust MumbaiPage 47
________________ O $$ $$$$ $ $$ $ $明 (३८-२) पंचकप्पभास पंचम छेयसुतं [३९] 55%85%EXISSIrap ॥९४||१४९०॥ किइकम्मस्स य करणे, वेयावच्चकरणे इय । समोसरण सण्णिसेज्जा, कहाए य पबंधणा ॥९५॥१॥ उग्गम उप्पाएसण निवेय परिकम्मणा य परिहरणा। संजोगविहिविभत्ता उवहिम्मिवि होति छट्ठाणा ।।२।। वायण पुच्छण पडिपुच्छ चिंत परियट्टणा य कहणा य । संजोगविहिविभत्ता सुयठाणे होति छट्ठाणा ॥३।। उग्गमउप्पाएसण लोयण संभुजणा णिसिरणा य । संजोगविहिविभत्ता य भत्तदाणे य छट्ठाणा ||४|| वंदिय पणमिव अंजलि गुरूआलोवे अभिग्गहि णिसेज्जा। संजोगविहिविभत्ता अंजलिकम्मेवि छट्ठाणा ॥५|| सेज्जोवहि आहारे सीसगणाणुप्पयाण सज्झाए। संजोगविहिविभत्ता दावणाएवि छट्ठाणा ॥६।। सेज्जोवहि आहारे सीसगणाणुप्पयाण सज्झाए। संजोगविहिविभत्ता निमंतणाएवि छठ्ठाणा |७|| अब्भुट्ठासण अंजलि किंकर अब्भासकरणमविभत्ती। संजोगविहिविभत्ता अब्भुट्ठाणेवि छट्ठाणा ॥८॥ सुत्तायाम सिरो णय मुद्धाणं सुत्तवज्जियं चेव संजोगविहिविभत्ता कितिकम्मे होति छट्ठाणा ||९|| आहारउवहिमत्तग अहिगरणविओसणा य सु (य) सहाए। संजोगविहिविभत्ता वेयावच्चेऽविछट्ठाणा॥१५००॥ वास उडुअहालंदे पुहृत्तसाहारणोग्गहित्तिरिए। वुड्डावासोसरणे छट्ठाणा होति पविभत्ता॥१॥ परियट्टणाऽणुओगे वागरणे परिच्छणा य आ (पुच्छ परिच्छणा) लोए । संजोगविहिविभत्ता सन्निसेज्जाए छट्ठाणा ॥२॥ वादो जप्प वितंडा पइण्णियाऽणिच्छिया कहा होति । संजोगविहिविभत्ता कहापबंधेऽवि छट्ठाणा ।।३।। रागेणं दोसेणं अन्नाणाविरईय मिच्छत्ते । कोमामालोआसवदारेहिँ तु राइछट्टेहिं ।।४।। अविरयस्स बावत्तरिविहो, एसा बावत्तरी दोहिं गुणिया रागदोसेहिं चोयालं सयं अण्णाणातीहिं २१६ कोहादीहिं २८८ आसवदारेहिं ३६० राइभोयणछटेहिं ४३२। 'बारस य चउव्वीसा छत्तीसा अडयालमेव सट्ठी य । बावत्तरी उ एसो संजोगविही मुणेयव्वो॥५|| बारस य चउव्वीसा छत्तीसऽडयालमेव सट्ठी य । बावत्तरी बिगुणिया चोयालसयं तु संजोगा ।।६।। बारस य चउव्वीसा छत्तीसऽडयाल चेव सट्ठी य। बावत्तरी छग्गुणिया चत्तारि सया उबत्तीसा ||७|| जस्सेते संजोगा उवलद्धा अत्थतोय विण्णाया। सो जाणती विसोहिं उवधायं चेव संभोगे ॥८॥ जस्सेते संजोगा उवलद्धा अत्थतो य विन्नाता । णिज्जुहिउं समत्थो णिज्जूढे यावि परिहरिउं ॥९॥ सरिकप्पे सरिछंदे ॥ तुल्लचरित्ते विसिठ्ठतरए वा । आयत्ति भत्तप्पाणं सएण लाभेण वा तुस्से॥१५१०॥ सरिकप्पे सरिच्छंदे तुल्लचरित्ते विसिट्ठतरए वा । साहूहि संथव कुज्ज णाणीहिं चरित्तगुत्तेहिं॥१॥ ठितकप्पम्मि दसविहे ठवणाकप्पे य दुविहमण्णयरे। उत्तरगुणकप्पम्मि य जो सरिकप्पो स संभोगो॥२॥ सत्तविहकप्प एसो समासओ वण्णिओ सविभवेणं । एत्तो दसविहकप्पं समासओ मे निसामेह ।।३।। कप्प पकप्प विकप्पे संकप्पुवकप्प तह य अणुकप्पे । उक्कप्पे य अकप्पे तहा दुकप्पे सुकप्पे य ।।९६॥४॥ गच्छाओ निग्गयाणं जिणकप्पियमादियाण कप्पो उ । तं च समासेण अहं उल्लिंगेहामि इणमो उ ।।५।। पिंडसेण पाणेसण उग्गह उद्दिठ्ठ भावणा चेव । बारस य भिक्खुपडिमा एवमादी भवे कप्पो ॥९७||६।। पिंडेसण पाणेसण पंचुवरिमया सभिग्गहेगा य । सेसासु य अग्गहणं सेज्जोग्गह उवरिमा दोसु ।।७।। उद्दिछित्ती हेट्ठा जिणकप्पविही उ जो समक्खाओ। खेत्ते कालचरित्ते इच्चाइ तहेव इहइंपि ॥८॥ पुणविस भावणाओ महव्वयाणं तु होति पंचण्हं । बारस अणिच्चयादी तवसुत्तादी य पंचेव ॥९॥ एयाहिं भावणाहिं भावंती ते उनिच्चमप्पाणं । सव्वेऽवि गच्छनिग्गय वेरग्गपरायणा धीरा ॥१५२०॥ बारस भिक्खूपडिमा आदिग्गहणेण लंदिया चेव। तह सुद्धपारिहारी सव्वोऽवेसो भवे कप्पो॥१।। निच्छय निरास निम्मम निरहंकार परमट्ठ दढजोगी। चत्तसरीरकसायो इंदियगामा य निग्गहिया ।।९८॥२॥ जं चण्ण # एवमादी सव्वणयविहाणमागमविसुद्धं कप्पोत्ति नाणदंसणचरित्तगुणमावंह जाणे ।।९९||३|| निच्छयणयट्ठिया उद्विता तु ववहारे । अहवावि णिच्छओ तू णाणादीयं भवे तितयं ।।४।। णासंसइ इहलोयं वावि एस उ निरासो। निम्ममता तु ममत्त ण करेती अविय देहेऽवि ॥५॥ ण करेइ अहंकारं एरिसओ अहंति उत्तमगुणोघो। ईणिव्वाणं परमट्ठो तस्साहणता उ दढजोगी ॥६॥ णिप्पडिकम्मसरीरो चत्तसरीरो उ होइ रायव्यो । णऽवणेतऽच्छिमलादिवि खंतिखमो उज्झियकसातो ||७|| ई सोइंदियमादीसुय विसयपयारेसु सद्दमादीसु । ण उवेइ रागदोसे इंदियगामा य निग्गहिया ।।८।। सव्वणयावी दुविहा नाणे करणे य होति बोद्धव्वा । सव्वणयाणंऽपेयं मतं तुजं (जो) सुट्ठितो चरणे ॥९॥ कप्पो णाम भण्णति जो आवहती उ नाणमादीणि । वुद्धिं वावि करेती सव्वो सो होइ कप्पो उ॥१५३०॥ कप्पो उ एस भणिओ TOC}听听听听听听听听听听$$$$$$$$$$$$研乐乐乐听听听听听听明明明明明明明明明明明明明 Gain Education International 2010_03 1-1-1PTIENCELLANELENNELLENEL: MEN For Eva Personalise Only श्री अग्रणमज्षा- १५०१LLLLLLELE LELFALFALF awww.jainelibrary.00) o oPage Navigation
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