Book Title: Agam 38 Chhed  05 Jitkalpa Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai

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Page 74
________________ (38-2) पंचकप्पभास पंचम छेयसुत्तं [66] 555555555552 HOTO乐乐乐乐听听听听听听乐乐乐玩乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听明明乐听听听听OM तु तेहिं सीसाणं / तत्तो परंपरेणं आयमिणं तेण जीयं तु सा वड्डइ य नाण चरणे गणं तु जम्हा उ तेण वुड्पिदं / पवरं पहाणमेयं सव्वेसिं रायदेवाणं // 3 // इति एसऽणुन्नकप्पो जहाविही वन्निओ समासेणं / ठवणाकप्पं एत्तो वोच्छामि / अहाणुपुव्वीए // 4 // तिविहो ठवणाकप्पो कुले गणे चेव तह य संघे य / एतेसिँ परूवणयं वोच्छामि अहाणुपुव्वीए / / 5 / / कुलथेरेहिं गणेण व जा मेरा ठाविता भवे नियमा / सो कुलठवणाकप्पो एव गणे होइ संघे य / / 182 / / 6 / / केरिसया पुण थेरा कुलगणसंघाण होति उ पमाणं ? / भण्णइ सुणसू इणमो जेहिं गुणेहिं तु ते जुत्ता ||7|| कप्पा कप्पविहिण्णू सुत्तत्थविसारया सुतरहस्सा / जे चरणकरणजुत्ता ते सुद्धनयाण उ पमाणं / / 8 / / कप्पाकप्प विहिण्णु सुत्तत्थविसारया सुयरहस्सा / जे चरणकरणहीणा ते सुद्धणयाण भइयव्वा / / 9 / / नेयव्वा खलुक (अ) ज्झा असती चरणट्ठियाण थेराण / हीणोवि सुयसमिद्धो मज्झत्थो होइ उ पमाणं // 2640 // कह पुण ठाविज्जते ते उ पमाणं तु तेसु ठाणेसु / कुलगणसंघा थेरा? भण्णइ इणमो निसामेहि // 1 // इच्छंकारनिउत्तो पियधम्मो तिण्ह कोइ एक्कतरो। सो होति तिगत्थेरा तिगचरित्तवियाणओ वी(थी)रो |2|| नाऊण गुणसमिद्धं जोगं तु कुलादिथे रठाणस्स / काऊणिच्छाकारं कुलादिणो बेति तो इणमो॥३|| उब्भे होह पमाणं कुलथेरा थेरठाणजोगं तु / एवं तु कुलादीहिं तिगथेरा ऊ ठविज्जति // 4 // तिगचरितं जाणइत्ति चरित्त मज्जायमेव एगट्ठा / तं तु तहाविहि जाणइ तिण्हपि कुलादिठाणाणं // 5 // पासत्थोसन्नकुसीलठाणपरिरक्खतो दुपक्खेवि / सो होति तिगत्थेरो तिगथेरगुणेहिं उवउत्तो॥६|| पासत्थादीठाणे ण वट्टती एस रक्खओ होइ / अहवा सति सद्धा(यसत्ती)ए पासत्थादरवि पालेइ॥७॥ परिहुज्जते रागादि रक्खिते साह साहणिदपक्खे / अहवा अप्पाण परे तिगथेरो संघथेरो उ॥८॥ एसो ऊ तिगथेरो तिगथेरगुणेहिं होति संपन्नो। अहुणा वीसुंवीसुंकुलादिथेरेपवक्खामि // 9|| चरणकरणे समग्गो जो जत्थ जदा कुलप्पहाणो उ / सो होइ कुलत्थेरो कुलचरियवियारओ धीरो॥२६५०॥ पासत्थोसन्नकुसीलठाणपरिक्खतो दुपक्खेवि / सो होइ कुलत्थेरो कुलथेरगुणेहिं उवउत्तो // 1 // चरणकरणे समग्गो जो जत्थ जदा गणप्पहाणो उ / सो होइ गणत्थेरो गणचरियवियाणओ वी(धीरो) // 2 // पासत्थोसन्नकुसीलठाणपरिक्खओ दुपक्खेवि / सो होइ गणत्थेरो गणथेरगुणेहिं उवउत्तो // 3|| चरणकरणे समग्गो जो जत्थ जदा जुगप्पहाणो उ / से होइ संघथेरो सीतघरसमो पुरिससीहो / / 4 / / एसो उ मूलसंघो आपुच्छणगमणकरणकज्जेसु / हितसुहनिस्सेसकडो कुलगणसंघऽप्पणो चेव // 5 // दंसणनाणचरित्ते जा पुव्व परूवणाऽऽयरणया य। एसो उमूलसंघो तिविहा थेरा करणजुत्ता // 6 / / पुविपि परूविज्जा आयारादीसुवन्नियचरित्ते। तं सम्ममायरंतो हवति तु संघो तहाथेरो // 7 // जो सो हीणचरित्तो अण्णस्स असतीत पुव्वभणितो उ / कुलथेराति ठविज्जति तस्सुवदेसो इमो होइ ||8|| होज्ज वसणसंपत्तो सरीरमायंकता असहुओ वा / चरणकरणे असत्तो सुद्धं मग्गं परूविज्जा // 183||9|| वसणं वाजीमादी सूलजरादी तु होइ आतंको। धितिसारीरबलेणं हीणो असहू मुणेयव्वो // 2660 // एएहिं कारणेहिं अकप्पपडिसेवणं करेंतोउ। सुद्धं मग्गपरूवे अप्पाहणिया अओएत्तो॥१॥ कप्पपणयस्स भेदा सोच्चा णच्चा तहेवघेत्तूणं / चरणकरणे विसुद्धे आयरणपरूवणं कुणह ||2|| आयरियसगासाओ सोच्चा णच्चा य घेत्तुमत्थेणं / हियए ववत्थवेउं आयरण परूवणा कुज्जा / / 3|| कप्पपणगस्स भेदो परूविओ मोक्खसाहणवाए। जं चरिऊण सुविहिया करेति दुक्खक्खयं धीरा ||4|| पंचविहसुत्तकप्पाण विभासा पमोत्तूणं / गहिया सीसहियट्ठा अव्वोच्छित्तट्ठया चेव / / 2665 // (सव्वसुयसमूहमयी वामकरग्गहियपोत्थया देवी / जक्खकुहंडीसहिया देतु अविग्घं भणताणं ॥१प्र०।। 乐乐编织乐乐乐乐玩乐乐乐乐乐明明听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐听听听听乐明明乐明明明明明明明乐乐 Noros卐 5 5555555555584बी आगमगणमजूषा - 1528 155555555555555555555OOR

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