________________ समर्पण जिन्होंने नागमों पर हिन्दी भाषा में टीकार लिखकर तथा आगम-संपादन की आधुनिक शैली का प्रथम प्रवर्तन कर महान ऐतिहासिक श्रुत-सेवा को परमश्रद्धेय आगम-रहस्यविज्ञ जैनधर्मदिवाकर श्रमणसंघ के प्रथम आचार्य पूज्य श्री आत्मारामजी महाराज की पावन स्मृति में उन्हीं के जन्म-शताब्दी वर्ष के पावन-प्रसंग पर सविनय समति समर्पित .....मधुकर मुनि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org