Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 10
________________ प्रस्तुत आगम के प्रकाशन में अर्थसहयोगी माननीय सेठ श्रीहीराचन्दजी सा. चोरडिया [संक्षिप्त परिचय-रेखा] नोखा (चांदावतों का) का चोरडिया-परिवार जितना विशाल है, उतना ही इस परिवार का हृदय विशाल है। आर्थिक दृष्टि से जितना सम्पन्न है, उदारभावना से भी उतना ही सम्पन्न है। सार्वजनिक सेवा, शासन-अभ्युदय और परोपकार के कार्यों में जितना अग्रसर है, उतना ही विनम्र, सौम्य और सरल है। सेठ हीराचन्दजी सा. इस परिवार के वयोवद्ध सम्माननीय सदस्य हैं। आपकी सरलता और गम्भीरता असाधारण है। चोरड़ियाजी का जन्म वि. सं. 1956 की फाल्गुन शुक्ला सप्तमी को नोखा में हुआ / पिताजी श्रीमान् सिरेमलजी चोरड़िया के आप सुपुत्र हैं / प्रायने श्रीमती सायबकुवरजी की कुक्षि को पावन किया / जब आप केवल 18 वर्ष के थे तभी आपको पितबियोग के दारुण प्रसंग का सामना करना पड़ा। पिताजी के बिछुड़ते ही परिवार का समग्र उत्तरदायित्व प्रापके कन्धों पर ग्रा पड़ा। अापने बड़ी कुशलता, सूझबूझ, धैर्य और साहस से अपने दायित्व का निर्वाह किया। अाज अाप की गणना मद्रास के प्रतिष्ठित व्यवसायियों में की जाती है। आप अपने व्यवसाय-कौशल के कारण अनेक फर्मों के संस्थापक एवं संचालक हैं। आपकी मुख्य फर्म "सिरेमल हीराचन्द फाइनेन्सीयर्स' (साहकार पेट, मद्रास) है। इसके अतिरिक्त निम्नलिखित संस्थानों के भी आप अधिपति हैं (1) सिरेमल हीराचन्द एण्ड कम्पनी (2) इन्टरनेशनल टायर सविस–टायर्स एण्ड बेटरोज डीलर्स, माउन्ट रोड, मद्रास (3) चोरडिया रबर प्रोडक्टस् प्रा. लि. मद्रास व्यवसाय के क्षेत्र में संलग्न और अग्रसर होने पर भी आपका ब्यक्तित्व पूर्ण रूप से उसी के लिए समर्पित नहीं है। आपने उपाजित लक्ष्मी का समाजसेवा एवं परोपकार में व्यय किया है और कर रहे है / मरुभूमि में जल और जलाशय का कितना मूल्य और महत्व है, यह सर्वविदित है। संस्कृतभाषा में जल का एक नाम 'जीवन' है। वास्तव में जल के अभाव में जीवन टिक नहीं सकता। वह जीवन की सर्वोच्च आवश्यकता है। इस तथ्य को ध्यान में रख कर मापने आज से चालीस वर्ष पूर्व नोखा-निवासियों की सुविधा के लिए कुमां खुदवाया, जिससे सारा गांव ग्राज भी लाभ उठा रहा है। यही नहीं, आपके जन्मग्राम नोखा में ही सिरेमल जोरावरमल प्राइमरी हेल्थसेंटर' के निर्माण में भी आपका विशिष्ट योगदान रहा है। मद्रास में होने वाले प्रत्येक सार्वजनिक कार्य में आपका सक्रिय एवं सार्थक योगदान रहा है, चाहे वह हाईस्कल हो, जैन कालेज हो या बालिकानों का हाईस्कल हो। मगर अापका सब से महत्त्वपूर्ण और विशेष उल्लेखनीय सेवाकार्य है-हीराचन्द आई हॉस्पिटल नामक नेत्रचिकित्सालय। यह मद्रास के साहकार पेट में अवस्थित है। यह अस्पताल सेठ हीराचन्दजी सा. तथा श्रापके तीन सूपूत्रों--श्रीतेजराजजी, प्रकाशचन्दजी तथा शरबतचन्दजी सा. ने बड़े ही उत्साह के साथ स्थापित किया है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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