Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi Gujarati Author(s): Ghasilal Maharaj Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti View full book textPage 5
________________ भगवान आशु : श्री मला. श्वे. स्थानवासी જૈનશાસ્ત્રોદ્ધાર, સમિતિ हे गरेडिया वा रोड, ग्रीन सोन पासे, रानट, ( सौराष्ट्र ). ये नाम केचिदिह नः प्रथयन्त्यवज्ञां जानन्ति ते किमपि तान्प्रति नैष यत्नः उत्पत्स्यतेऽस्ति मम कोऽपि समानधर्मा कालोह्ययं निरवधिर्विपुला च पृथ्वी ॥१॥ Publishedby : Shri Akhila Bharat S. s. Jain Shastroddhara Samiti, Garedia Kuva Road, RAJKOT, (Saurashtra), W. Ry, India (हरिगीतिका छंद) करते अवज्ञा जो हमारी यत्न ना उनके लिये जो जानते हैं तव कुछ फिर यत्न ना उनके लिये । जनमेगा मुझसा व्यक्ति कोई तत्त्व इससे पायगा है काल निरवधि विपुल पृथ्वी ध्यानमें यह लायगा ॥१॥ પ્રથમ આવૃત્તિ ઃ પ્રત ૧૦૦૦ વીર સંવત્ : ૨૪૮૮ વિક્રમ સવંત ૨૦૧૮ ઇસવીસન : ૧૯૬૨ શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર + : भुद्र ; જાદવજી માહનલાલ શાહ નીલકમલ પ્રિન્ટરી ઘીકાંટા ડ सभहावाह : MPage Navigation
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