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समत्व (राग-द्वेषविजय की साधना) 229, योग-भावनाओं की फलश्रुति 230। 10. (तपोयोग साधना 1.) बाह्य तप : बाह्य आवरण-शुद्धि साधना 231-257 ___ 'तप' का अभिप्राय 231, तप के लक्षण 232, तप का महत्त्व 233, तप के विभिन्न प्रकार 233, तप के दो प्रमुख भेद : बाह्य तप और आभ्यंतर तप 234, विभाजन के कारण 234, बाह्य तप भी निरर्थक नहीं 235, बाह्य तप के लाभ 235, बाह्य तप 236, (1) अनशन तप : आत्म-आवरणों का शोधन 236, अनशन तप के शारीरिक और मानसिक लाभ 237, अनशन तप के भेद-प्रभेद 238, (2) ऊनोदरी तप : इच्छा नियमन साधना 239, ऊनोदरी तप के प्रकार 239, (3) भिक्षाचरी तप : वृत्ति-संकुचन की साधना 241, योग की अपेक्षा वृत्तिसंक्षेप नाम अधिक उपयुक्त 242, (4) रस-परित्याग तप : अस्वाद वृत्ति की साधना 242, रस-परित्याग तप की दो भूमिकाएँ 243, (5) कायक्लेश तप : काय-योग की साधना 244, प्रमुख आसनों का वर्णन 244, दो प्रकार के कष्ट सहन 245, तैजस् शरीर की साधना 246, भाव प्राणायाम 247, कार्य-क्लेश तप के कुछ प्रमुख लाभ 247, (6) प्रतिसंलीनता तप : अन्तर्मुखी बनने की साधना 247, प्रतिसंलीनता तप के विभिन्न नाम 248, प्रतिसंलीनता तप के चार भेद 248, इन्द्रिय प्रतिसंलीनता तप की साधना 248, इन्द्रिय प्रतिसंलीनता तप की साधना के दो प्रकार 249, कषाय प्रतिसंलीनता तप 250, कषाय प्रतिसंलीनता तप के चार भेद 250, क्रोध के आवेग की उपशांति के व्यावहारिक उपाय 251, मान, माया, लोभ की उपशांति के व्यावहारिक उपाय 251, योगप्रतिसंलीनता तप 252, योग प्रतिसंलीनता तप की भूमिकाएँ 252, मनोयोग की साधना 252, वचनयोग की साधना 253, काययोग की साधना 253, विविक्तशयनासन सेवना 253, विविक्तशयनासनसेवना का वैज्ञानिक आधार 254, बाह्य तपों से तपोयोगी साधक को लाभ 2561. 11. (तपयोग साधना-2)
258-270 आभ्यन्तर तप : आत्मशुद्धि की सहज साधना
आभ्यन्तर तप साधना का उद्देश्य 258, (1) प्रायश्चित्त तप : पाप-शोधन की साधना 258, प्रायश्चित्त के भेद 260, मिच्छामि दुक्कडं का रहस्य 260, प्रायश्चित्त का लक्ष्य 260, (2) विनय तप : अहं विसर्जन की साधना 261, विनय के सात भेद 261, ज्ञान विनय 261, दर्शन विनय 262, चारित्र विनय 262, मनोविनय 262, वचनविनय 262, कायविनय 262, लोकोपचारविनय 263, (3) वैयावृत्य तप : समर्पण की साधना 263, (4) स्वाध्याय तप : स्वात्मसंवेदन ज्ञान की साधना 264, स्वाध्याय के विभिन्न अर्थ 264, स्वाध्याय के भेद अथवा अंग 265, स्वाध्याय तप की फलश्रुति 266, (5) ध्यान तप : मुक्ति की साक्षात् साधना 267, (6) व्युत्सर्ग तप : ममत्व-विसर्जन की साधना 267,
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