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और विशेषताएं 376, णमो उवज्झायाणं पद का वर्ण विन्यास और विशेषताएं 376, णमो सव्वसाहूणं पद का वर्ण विन्यास और विशेषताएं 377, साधना की विधि 377, णमो अरिहंताणं पद की साधना 377, णमो सिद्धाणं पद की साधना 379, णमो आयरियाणं पद की साधना 380, णमो उवज्झायाणं पद की साधना 381, णमो लोए सव्वसाहूणं पद की साधना 382, इन पाँच पदों की साधना से साधक को लाभ 382, साधना की एक और विधि 383, 'नव पद' की साधना 384, 'नव पद' के पद (दो मत) 384, अन्तरात्मा में सिद्धचक्र ध्यान-साधना 388, कायोत्सर्गासन द्वारा 388, पद्मासन द्वारा 388, हृदयकमल पर ध्यान 389, चक्रों पर नवपद का ध्यान 389, ॐ की साधना 389, ॐ का निर्वचन 390, 'सोऽहं' की साधना 391, अहँ की साधना 392, 'अहं' का पद विन्यास 393, अर्ह की साधना विधि 393, अहँ के जप ध्यान से साधक को लाभ 395 । परिशिष्ट
397-430 * सन्दर्भ ग्रन्थ सूचि 397
विशिष्ट व्यक्ति नाम सूचि 401
विशिष्ट शब्द सूचि 403 * अभिमत/प्रशस्ति पत्र
आचार्य सम्राट् श्री आनन्द ऋषि जी म., 422, मरुधर केसरी श्रमण सूर्य प्रवर्तक श्री मिश्रीमल जी म. 422, युवाचार्य श्री मधुकर मुनि जी म. 423, उपाध्याय श्री अमर मुनि जी म. 425, उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म. 429, आचार्य सम्राट्, श्री देवेन्द्र मुनि जी म. 430, प्रवर्तक श्री रमेश मुनि जी महाराज 431 ।
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