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किसी विशिष्ट कोशिका के साथ सम्बन्ध जोड़ देने पर मनुष्य अपने भूतकाल की घटनाओं को अपनी आँखों के सामने चित्रपट की भाँति प्रत्यक्ष देख सकता
है।
(4) रूसी वैज्ञानिक प्रो. एनाखीन ने एमीनोजाइन (Eminozine) नाम की ऐसी औषध का आविष्कार कर लिया है जो व्यक्ति को शारीरिक पीड़ा से छुटकारा दिला देती है।
(5) एक ल्यूथिनियन लड़का विशिष्ट अतीन्द्रिय क्षमता का धनी है। वह किसी भी नई-पुरानी, जीवित - मृत भाषा यथा - इंगलिश, फ्रेंच, लेटिन, ग्रीक आदि के शब्दों को उच्चारणकर्ता के साथ-साथ इस प्रकार बोलता जाता है मानो वह उन भाषाओं का विद्वान हो और उसे पहले से ही यह ज्ञात हो कि उच्चारणकर्ता आगे कौनसा शब्द बोलने वाला है।
यह तो हुई मानव मस्तिष्क की बात, जिसके बारे में कहा जा सकता है कि मनुष्य तो संसार का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है और उसका मस्तिष्क अत्यन्त ही विकसित तथा उच्चकोटि का है; लेकिन ऐसी ही अतीन्द्रिय क्षमताएँ चूहे-बिल्ली आदि संज्ञी पंचेन्द्रिय प्राणियों में भी पाई जाती हैं।
'बांस में फल- फूल नहीं देखे जाते, इनकी जड़ें ही बांसों की वृद्धि करती हैं। लेकिन 50 वर्ष बाद बांस में फूल आते हैं और उनमें फल भी निकलते हैं। 50 वर्ष में चूहे की भी 50 पीढ़ियाँ गुजर जाती हैं; लेकिन चूहे अपनी सुगन्ध विश्लेषण क्षमता और सूक्ष्मबुद्धि से उन फल-फूलों की विशेषता पहचान जाते हैं, कि इनके उपभोग से उनकी प्रजनन क्षमता कई गुना बढ़ जायेगी, अतः वे इन फल-फूलों को बड़े चाव से खाते हैं। यह ज्ञान उन्हें किस प्रकार प्राप्त होता है, इस गुत्थी को जीवशास्त्री नहीं सुलझा सके हैं।
इसी प्रकार की क्षमता बिल्ली में भी होती है, उसे भी आगे घटित होने वाली घटनाओं का पूर्वाभास हो जाता है। कुत्ते की गन्ध क्षमता से तो सभी परिचित हैं। वह चोर द्वारा स्पर्श की हुई भूमि, किसी वस्तु अथवा वस्त्र को ही सूँघकर चोर का पता लगा लेता है, चाहे चोर मीलों दूर चला गया हो अथवा चोरी की घटना को महीनों गुजर गये हों।
इन पशुओं में ऐसी अतीन्द्रिय क्षमता कहाँ से उत्पन्न हुई?
इन सब बातों का एक ही उत्तर है कि मस्तिष्क की रचना और ज्ञान तन्तु ऐसे अद्भुत हैं कि उनमें अनेक प्रकार की विलक्षण क्षमताएँ और शक्तियाँ भरी पड़ी हैं, जो मनुष्य को चमत्कृत कर देती हैं। किन्तु स्वयं मनुष्य इनसे अनजान - अपरिचित रहता है।
* मानव शरीर और योग 3