Book Title: Adhyatma Yog Sadhna
Author(s): Amarmuni
Publisher: Padma Prakashan

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Page 442
________________ होते ही शब्द की शक्ति द्वारा साधक का तैजस् शरीर अत्यन्त बलशाली हो जाता है। यहीं शब्द की शक्ति का पूर्ण रूप से प्रस्फुटन होता है। योगशास्त्रों में जो बताया गया है कि संसार में व्याप्त शक्ति ( energy) का तृतीय अंश शब्द शक्ति है, वह यही स्थिति है। इस शक्ति से सम्पन्न साधक क्षण मात्र में असम्भव कार्य कर सकता है। वस्तुतः इस स्थिति में पहुँचे हुए साधक को कुछ भी करना नहीं पड़ता, करने की जरूरत भी नहीं रहती । मन में विचार आया, क्रिया का संकल्प जगा कि कार्य सिद्ध । करुणा जागी कि अमुक व्यक्ति का रोग दूर हो जाए; अमुक क्षेत्र में अकाल है, काल हो जाय; और वह व्यक्ति रोग मुक्त हो गया, उस क्षेत्र में सुकाल हो गया । उसके चिन्तन की तरंगों से व्याप्त वायु जितनी दूर तक संचरण करती है, उतने क्षेत्र के सभी प्राणी सुखी हो जाते हैं, सुख का अनुभव करने लगते हैं। सूक्ष्मतम शब्द की इस तीसरी अवस्था को कुछ लोग ज्ञानात्मक भी कहते हैं; उसे ज्ञानावरण का विलय मानते हैं; किन्तु ज्ञानावरण का विलय तब होता है, जब पहले कषायावरण का क्षय हो जाता है। कष़ायावरण का विलय एवं क्षय प्रथम होता है और ज्ञानावरण का विलय तदुपरान्त । शब्द की इस सूक्ष्मतम स्थिति में तो योगी को भाषा - शक्ति का, वचनयोग की पुद्गल वर्गणाओं का साक्षात्कार होता है, मनोयोग की वर्गणाओं से वचन - योग की वर्गणाओं के साथ तादात्म्य हो जाता है और शब्द- शक्ति अपने विकास की उच्चतम स्थिति तक पहुँच जाती है। साधक की भाषा वर्गणाएँ ऊर्जस्वी तेजस्वी बन जाती हैं। भाषा की ये वर्गणाएँ पौद्गलिक हैं, अतः इनमें रूप (रंग) भी है, रस भी है, स्पर्श भी है, गन्ध भी है और इनका निश्चित आकार भी है। इनके ये तत्त्व मन्त्रशास्त्र में बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। मन्त्र की साधना इन तत्त्वों के आधार पर की जाती है। मन्त्र की सिद्धि और साक्षात्कार में ये बहुत उपयोगी हैं। अतः इनको समझने से मन्त्र - सिद्धि का रहस्य सहज ही समझ में आ सकता है। मन्त्र और महामन्त्र मन्त्र शास्त्रों में बताया है कि वर्णमाला के जितने भी अक्षर हैं, वे सभी मन्त्र हैं - अमन्त्रमक्षरं नास्ति । हिन्दी की वर्णमाला में 'अ' से 'ह' तक 64 अक्षर हैं। । इन अक्षरों से अनेक प्रकार के असंख्य मन्त्रों की रचना होती है। उनमें वशीकरण के मन्त्र भी होते हैं, मारण - उच्चाटन आदि के भी मन्त्र होते *366 अध्यात्म योग साधना :

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