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श्रीआचाराङ्गवृत्तिः
(शी०) ॥३९॥
श्रुतस्क०२ चूलिका १ भाषा०४ उद्देशः २
वजं जाव नो भासिज्जा ॥ से भिक्खू वा भिक्खुणी वा मणुस्सं वा जाव जलयरं वा सेत्तं परिवूढकार्य पेहाए एवं वइज्जा
-परिवूढकाएत्ति वा उवचियकाएत्ति वा थिरसंघयणेत्ति वा चियमंससोणिएत्ति वा बहुपडिपुन्नइंदिइएत्ति वा, एयप्पगारं भासं असावजं जाव भासिज्जा ॥ से मिक्खू वा २ विरूवरूवाओ गाओ पेहाए नो एवं वइजा, तंजहा-गाओ दुज्झा
ओत्ति वा दम्मेत्ति वा गोरहत्ति वा वाहिमत्ति वा रहजोग्गत्ति वा, एयप्पगारं भासं सावजं जाव नो भासिज्जा ॥ से मि० विरूवरूवाओ गाओ पेहाए एवं वइजा, तंजहा-जुवंगवित्ति वा घेणुत्ति वा रसवइत्ति वा हस्से इ वा महल्ले इ वा महब्वए इ वा संवहणित्ति वा, एअप्पगारं भासं असावजं जाव अभिकंख भासिज्जा ।। से भिक्खू वा० तहेव गंतुमुज्जाणाई पव्वयाई वणाणि वा रुक्खा महल्ले पेहाए नो एवं वइजा, तं०-पासायजोग्गाति वा तोरणजोग्गाइ वा गिहजोग्गाइ वा फलिहजो० अग्गलजो० नावाजो० उद्ग० दोणजो० पीढचंगबेरनंगलकुलियजंतलट्ठीनाभिगंडीआसणजो० सयणजाणउवस्सयजोगाई वा, एयप्पगारं० नो भासिज्जा ॥ से भिक्खू वा० तहेव गंतु, एवं वइजा, तंजहा-जाइमंता इ वा दीहवट्ठा इ वा महालया इ वा पयायसाला इ वा विडिमसाला इ वा पासाइया इ वा जाव पडिरूवाति वा एयप्पगारं भासं असावजं जाव भासिज्जा ॥ से मि० बहुसंभूया वणफला पेहाए तहावि ते नो एवं वइजा, तंजहा-पक्का इ वा पायखज्जा इ वा वेलोइया इ वा टाला इ वा वेहिया इ वा, एयप्पगारं भासं सावजं जाव नो भासिज्जा ॥ से भिक्खू० बहुसंभूया वणफला अंबा पेहाए एवं वइज्जा, तं०-असंथडा इ वा बहुनिवट्टिमफला इ वा बहुसंभूया इ वा भूयरुचित्ति वा, एयप्पगारं भा० असा० ॥ से० बहुसंभूया ओसही पेहाए तहावि ताओ न एवं वइजा, तंजहा—पक्का इ वा नीलीया इ वा छवी
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