Book Title: Acharangsutram Part 02
Author(s): Shilankacharya,
Publisher: Agamoday Samiti
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अणायाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिए, केवली बूया०-आयाणभंङमत्तनिक्खेवणाअसमिए से निगंथे पाणाई भूयाई जीवाई सत्ताई अभिहणिज्जा वा जाव उद्दविज वा, तम्हा आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिए से निग्गंथे, नो आयाणभंडनिक्खेवणाअसमिएत्ति चउत्था भावणा ४ । अहावरा पंचमा भावणा-आलोइयपाणभोयणभोई से निग्गंथे नो अणालोइयपाणभोयणभोई, केवली बूया०-अणालोईयपाणभोयणभोई से निग्गंथे पाणाणि वा ४ अभिहणिज वा जाव उद्दविज वा, तम्हा आलोइयपाणभोयणभोई से निग्गंथे नो अणालोईयपाणभोयणभोईत्ति पंचमा भावणा ५ । एयावता महव्वए सम्मं काएण फांसिए पालिए तीरिए किट्टिए अवट्ठिए आणाए आराहिए यावि भवइ, पढमे भंते ! महव्वए पाणाइवायाओ वेरमणं ॥ अहावरं दुच्चं महव्वयं पञ्चक्खामि, सव्वं मुसावायं वइदोसं, से कोहा वा लोहा वा भया वा हासा वा नेव सयं मुसं भासिज्जा नेवन्नेणं मुसं भासाविज्जा अन्नपि मुसं भासंतं न समणुमन्निज्जा तिविहं तिविहेणं मणसा वयसा कायसा, तस्स भंते ! पडिक्कमामि जाव वोसिरामि, तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवंति–तथिमा पढमा भावणा-अणुवीइभासी से निग्गंथे नो अणणुवीइभासी, केवली बूया०-अणणुवीइभासी से निग्गंथे समावज्जिज्ज मोसं वयणाए, अणुवीइभासी से निग्गंथे नो अणणुवीइभासित्ति पढमा भावणा । अहावरा दुच्चा भावणा-कोहं परियाणइ से निग्गंथे नो कोहणे सिया, केवली बूयाकोहप्पत्ते कोहत्तं समावइज्जा मोसं वयणाए, कोहं परियाणइ से निग्गंथे न य कोहणे सियत्ति दुचा भावणा । अहावरा तच्चा भावणा-लोभं परियाणइ से निग्गंथे नो अ लोभणए सिया, केवली बूया-लोभपत्ते लोभी समावइजा मोसं वयणाए, लोभं परियाणइ से निग्गंथे नो य लोभणए सियत्ति तच्चा भावणा । अहवरा चउत्था भावणा-भयं परिजाणइ से
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