Book Title: Acharangsutram Part 02
Author(s): Shilankacharya, 
Publisher: Agamoday Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 209
________________ समणे भगवं महावीरे इमाए ओसप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए वीइकंताए सुसमाए समाए वीइकताए सुसमदुस्समाए समाए वीइकंताए दूसमसुसमाए समाए बहु विइकंताए पन्नहत्तरीए वासेहिं मासेहि य अद्धनवमेहिं सेसेहिं जे से गिम्हाणं चउत्थे मासे अट्ठमे पक्खे आसाढसुद्धे तस्स णं आसाढसुद्धस्स छट्ठीपक्खेणं हत्थुत्तराहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं महाविजयसिद्धत्थपुप्फुत्तरवरपुंडरीयदिसासोवत्थियवद्धमाणाओ महाविमाणाओ वीसं सागरोवमाई आउयं पालइत्ता आउक्खएणं ठिइक्खएणं भवक्खएणं चुए चइत्ता इह खलु जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे दाहिणडभरहे दाहिणमाहणकुंडपुरसंनिवेसंमि उसभदत्तस्स माहणस्स कोडालसगोत्तस्स देवाणदाए माहणीए जालंधरस्स गुत्ताए सीहुब्भवभूएणं अप्पाणणं कुच्छिसि गन्भं वक्रते, समणे भगवं महावीरे तिन्नाणोवगए यावि हुत्था, चइस्सामित्ति जाणइ चुएमित्ति जाणइ चयमाणे न याणेइ, सुहुमे णं से काले पन्नत्ते, तओ णं समणे भगवं महावीरे हियाणुकंपएणं देवेणं जीयमेयंतिकटू जे से वासाणं तच्चे मासे पंचमे पक्खे आसोयबहुले तस्स णं आसोयबहुलस्स तेरसीपक्खेणं हत्थुत्तराहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं बासीहिं राइदिएहिं वइकतेहिं तेसीइमस्स राइदियस्स परियाए वट्टमाणे दाहिणमाहणकुंडपुरसंनिवेसाओ उत्तरखत्तियकुंडपुरसंनिवेसंसि नायाणं खत्तियाणं सिद्धत्थस्स खत्तियस्स कासवगुत्तस्स तिसलाए खत्तियाणीए वासिट्ठसगुत्ताए असुभाणं पुग्गलाणं अवहारं करित्ता सुभाणं पुग्गलाणं पक्खेवं करित्ता कुञ्छिसि गम्भं साहरइ, जेवि य से तिसलाए खत्तियाणीए कुच्छिसि गम्भे तंपि य दाहिणमाहणकुंडपुरसंनिवेसंसि उस० को. देवा० जालंधरायणगुत्ताए कुञ्छिसि गर्भ साहरइ, समणे भगवं महावीरे तिन्नाणोवगए यावि होत्था-साहरिजिस्सामित्ति जाणइ साहरिजमाणे न यागइ साह -%ARTICE%A4%A4-%-% आ. सू. ७१ Jan Education Internaronal For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232