Book Title: Aagam Sambandhi Saahitya 03 Aagam Sootradi Akaaraadi
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
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आगम संबंधी साहित्य
[भाग-3] उपांग+प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि
[भ-कार + म-कार ] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: उपांग+प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य)
प्रत
१२३
सूत्रांक यहां देखीए
रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२
दीप
२७-१६१८
२५-५० २७-१६२७ २७-२७४७ २७-५८९ २७-७४५ २२-१२१ २२-२२३
क्रमांक
के लिए देखीए
भत्तपरिनामरणं दुविहं .२७-२८५ | भवसिद्धिए ण पुच्छा २२-२५२सू० | भिन्नमुहुत्तो नरएसु. | भत्तिं च कुणसु तिव्वं २७-३२९ भंजिय परीसहचमू २ ७-६१० मिनिंदियपंचिंदिय
भई सुबहुसुयाणं २७-२३७८ भत्तेत्ति० काले णं भंते कुमारे २६-८सू० भिंगा भिंग्गप्पभा चेव भयवे केहिं लिंगेहिं २७-७१८ , दिव्या देविड्डी० कहिं० २०-२६सू० | भुत्तूणवि भोगसुहं भरहस्स चत्तारि एगिदि० २५-६९सू० भालुकीए करणं
२७-४३५ | भुयगपुरोहियडको भरहे अ इत्थ देबे महिडीए २५-७२सू० भावनमुक्कारविवज्जिआई २७-३५४ भूईगहणं जह नकयाण भवगहणभमणरीणा २७-२७७ भावाणुरायपेमाणुरायः २७-३३९ भूए अत्थि भविस्संति भवण इसिवालिया २७-१२३२ भाविज भावणाओ २७-१८७४ भूयत्येणाहिगया भवण० कप्पबईणवि २७-११२७ भासपणे पुच्छा २२-२४७सू० भेदबिसय संठाणे भवणबई दो इंदा २७-२४३ भासगपरित्तपज्जत्त
| भोगकरा भोगवई भवणवइबिमाणवईणं २७-९७१
२२-२१२ भोगाणं परिसंखा भवणवइवाणमंतर २७-१०९० भासाकओ य पभवति २२-१९२ भोमेजवणयराणं
भासा णं भंते किमादीआ४२२-२६५सू० मउए निहुअसहावे भवण सब्विड्डी परिय० २७-१२३१ । भासासरीरपरिणाम
मए कयं इमं कम्म भवणेहिं व वणेहि य २७-१८११ भासुरसुवन्नसुंदर
मगतिहिआहि तो भवसयसहस्सदुलहे. २७-१४४० | मिक्खाचरणत्ताणं . २७-८७७ मज्ज़मि बंधवाणं भवसंसारे सब्वे. २७-२८४ | भणिमणिभणंतसई २७-५६१ | मज्झे वेअहस्स उ
२५-७०
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'सवृत्तिक आगम
२७-६८ २७-१२३५ २७-७८२ २७-२५७
२७-३३५ २७-१८१९
२५-२
सुत्ताणि
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॥
७
॥
~215
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