Book Title: Aagam Sambandhi Saahitya 03 Aagam Sootradi Akaaraadi
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad

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Page 363
________________ आगम संबंधी साहित्य [भाग-3] नन्दी-आदि-सप्तसूत्राणि-गाथा-अकारादि [प-कार ] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि गाथा-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत % A ६ २०६+ सूत्रांक यहां देखीए २ لم ل ३०० س م ه दीप क्रमांक के लिए देखीए परस्स तं देइ सए व गेहे परिअरबंघेण भई परिअरवंघेण भडं परिआओ पव्वजा. परिक्खभासी सुसमाहि० | परिगलमाणा हीरेन परिजाणिऊण जीवे परिजाणिऊण य जओ |परिजुम्नेहि वत्येहिं परिजूरइ० घाणवले परिजूरइ० चक्खुबले परिजूरइ ते सरीरयं परिजूरइ० फासबले परिजूरइरसणबले ४५४* ४६० ३४८ ३ ३ 4%AAAABESAKASS ३५२ परिजूरइ०सबबले ८४ परिजूरिअपेरंतं । ११६४ परिणिव्वुया गणहरा ४१२ परितंतो वायणाए ३२४* परिपिडियमुल्लाबो १७६+ परिभासणा उ पढमा ८७८ परिमंडल संठाणे ३३ प्र० परिमंडले य वट्टे ६० परिमिअमत्तगदाणे ३१२ परियट्टणवाए णं भंते! ३११* परियट्टिए अभिहडे ३१० परियट्टियलावणं ३१४* परियटुंपि दुविहं ३१३७ परियाय परिस पुरिसे . ३१५ परियाय बंभचेरं ३ २ १२०७ परिवाडिएण चिट्ठिज्जा ६५८ परिखूढत्तिणं बूआ . . ५ १२० परिवेसणपंतीए ६ ४९५ परिब्धयंते अनियत्तकामे ७ ३ ३+ परिसडियपंडुपत्तं ७ १४१५* परिसेयपियणहत्वाइ० ४ ७ ३८ परिसेयपियणहत्याइ. ६ ४ १३८+ परिहीणं तं दवं . ४ ३५ परीसहरिकता ६ ९३ परीसहाणं पविभत्ती . . ३०७ परीसहा दुब्बिसहा अणेगे . ६ ३२३ परेसु गासमेसिजा. ३..११४० पलालं फासुअं तत्य . 666666 'सवृत्तिक आगम ७७५% ७८* ८४८%2 सुत्ताणि ~363

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