Book Title: Aagam Sambandhi Saahitya 03 Aagam Sootradi Akaaraadi
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 382
________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए वृत्तिक आगम सुत्ता' [भाग 3] नन्दी - आदि-सप्तसूत्राणि - गाथा - अकारादि [ म-कार ] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी - आदि गाथा - अकारादिः (आगम-संबंधी- साहित्य) नं. अ. आ. ओ. द.पि. उ. ॥ ७३ ॥ मंखलि मंत्र सुभदा मंगलद्दे पुट्टया मंडलपसूतिकुद्धी ● मंडलि अहराइणिआ ० मंडलिभायण भोवण मंडिज मोरियपुत्ते मंडिय मोरियपुत्ते मंतं मूलं विविहं विज्ज० मंताजोगं कार्ड मंदा यं फासा बहुलोभ० मंदिरे अग्गिभुई मंसवससोणियासव माई मुद्वेण पढई माउयपयंति नेयं ३ ६ ६ ४ ४ १ ३ ७ ७ ७ ३ ६ ७ ३ ४७३ मा एवं देहि इमं २९० मा काइंति अवणं ६०० मा गलियस्सेव कसं २८३ + मागहमाई विजयो ५३७ माणविजएणं भंते ! २१ माणं तु रयताणे ५९४ माणुम्माणपमाण ० ५०१* माणुसतं भवे मूलं १६३६* माणुसचंमि आवाओ १२६* माणुसते असारंभि ४४२ माणुस्स खेत जाई ५३९ माणुस खित जाई कुछ १०४९* माणुस्सर्व चउद्धा २३५+ माणुस्तं धम्मसुई सद्धा ~ 382 ७ ३ ७ ४ २ ७ ७ ७ ३ ७ ३ ७ २३७ | माणुस्तं विग्ग लबुं २३९ मा ताव शंख पुत्तय ! १२० मा ते फंसेज कुठं ३४८ ८२ ७०४ मा दिच्छिहिंति वो मा मे एजउ काउति मा मे चलउत्ति तणू ९६* माय चंडालियं कासी १९३* मायपि पुव्वसंथव १०५* मायंमिड निक्लेवो ६१४* मायरं पियरं वादि ८३९ मायाए उस्समां १५८ मायागारवस हिओ १४५२ माया पिया ण्डुसा भाया १५५ माया पुचं जहा नहं ७ ६ ६ ४ ३ ३ ७ ६ ७ ३ ३ ५ 1 २ १०२* २८६ ५०८ २२३ १५७१ १५७३ १० ४८५ ४६० १२०८ १६३७ ३०५ १६२* ११५* सूत्राधनुक्रमः ॥ ७३ ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431