Book Title: Aagam Sambandhi Saahitya 03 Aagam Sootradi Akaaraadi
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
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आगम संबंधी साहित्य
[भाग-3] नन्दी-आदि-सप्तसूत्राणि-गाथा-अकारादि
[प-कार ] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि गाथा-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य)
प्रत
सूत्रांक
यहां
नं.अ.आ.
८७९
له سه
सत्रावनुक्रमः
ओ.
देखीए
द.पि.उ.
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॥६१॥
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दीप
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क्रमांक
के लिए देखीए
|पउमाभवासुपुजा ३ पउमुत्रे महाहरि पउमुप्पले अकुसलं |पउरनपाण पढमा पक्षणकुले वसंतो पक्खंदे जलियं जोई | पक्खे उस्सासाई पुरतो ४ पक्खेव डणमोसहि पगईह मंदावि भवंति एगे ५ पगई एस गिहीणं | पगई एस दुमाण ५ | पगइठिईअणुभार्ग . | पगडीण अण्णासुवि ३ | पगयं तु भावचरणे .
३७६ पगामं च निगामं च ४०० पञ्चक्खाएण कया
पञ्चक्खाणमिणं १३२१ पञ्चक्खाणमिणं सेविऊण ११२४ पचक्खाणस्स फळं ११* पञ्चक्खाणं उत्तरगणेसु १५३+ पञ्चक्खाणं जाणइ १५३+ पनक्खाणं जाणा ११ पञ्चक्खाणं पञ्चक्खाओ ४०१७ पच्चक्खाणमि कए ११५ पच्चक्खाणं सब्वन्नुदेसि० १०९ पथक्खाण सेयं ५३६ पञ्चक्खाणं सेयं ५७२ पञ्चक्खाणा विउस्सग्गे ५२१ पञ्चक्खाणेणं भंते ! .
६ ६४४ पञ्चक्खे दणं जीवाजीवे ३ ३ १७०९ पचयो य बहुविहो
पचया य बहुविहो ३ २३७ पञ्चयणिक्खेवो खलु ३ १७१७ पञ्चयत्वं च लोगस्स ३ १७१६ पञ्चवाया वालाइसावया ४ ३ १६५९ पञ्चंति तावसीओ ३ २५१+ पञ्चप्पण्णग्गाही ३. १६५२ पशुप्पन्नग्गाही उजुसुओ २ ३ १६९० पधुरसिपरंमुह० । ३ २५०+ पच्छावि ते पयाया ३ १४४४ पच्छासंथवदोसा । . १७७ पच्छा०सिआ तत्थ व कप्पइ ५ ३ १३७४ पज्जवकाओ पुण हुंति ३ . २७ पजं तु होइ तिविहं ५
जाम
'सवृत्तिक आगम
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१५४० १७४
सुत्ताणि
~358
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