Book Title: Aagam Sambandhi Saahitya 03 Aagam Sootradi Akaaraadi
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
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आगम संबंधी साहित्य
[भाग-3] नन्दी-आदि-सप्तसूत्राणि-गाथा-अकारादि
[द-कार ] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि गाथा-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य)
प्रत
सूत्रांक
यहां
२५४
६ ३
सूत्रायनुक्रमः
देखीए
ब
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दीप
क्रमांक
आ.द्र दव्वकरणं तु दुविहं दिव्वक्खएण पंतो
दव्वगुण खित्तपज्जव ॥५२॥
व्यर्थओ भावथओ दवनिमित्तं दुब्वे
बप्पमाणगणणा बमरणं कुसुंभाइएसु दव्वविउस्सग्गे खलु दव्वसुय पोंडयाइ दव्वं च अस्थिकायप्पयार० दव्वं जेण व दवेण दव्वंमि अत्तकम्म
दव्बंमि० कुलाल मिच्छंति हैदव्वंमि ठाणफलए
१८४ दव्वमि०मिक्खाईणमदाणे ३ १२६+ यमि लडुगाई ६ २०४+ दवं सत्यग्गिविसनेहं बिल० ५ १९४+ दवाइओ विवेगो
२४३+ दब्वाईछिन्नपि हु जइ ४ १३६+ दवाओ असंखिजे
२०९ दव्याण सव्वभावा ३ १०६२ दवाण सबभावा
३१२ दव्वादिएहिं निचो
४० दब्बाभिलावचिंचे ५ ३२९ दवाया खलु काया ६. १०६ दबावाए दोन्नि उ ५ ३ १०५९ दब्बासण्णं भवणाइयाण ४ ४ १०३ दबीए भायणेण व ३
१०५२ दव्वीछूटेति जं बुत्तं
८६ दबुजोउज्जोओ २३२ दबुझणा उ जं जेण ३९६ दब्वे अञ्चित्तेणं भावंमि २३४ - दव्वे अद्धअहाउस
६४ दव्ये अद्ध अहाउय ३१७ दवे खित्ते काले १०८४* दब्वेण य भावेण य
५९ दबे तणडगलाई ७३६ दवे तं चिय दवं १०४ दव्वेत पुण उत्तरतं तं
५५ दब्वे तिविहा गहणे १८२+ दब्बे दुहा उ कम्मे +३० दब्बे निहाणमाई :
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के लिए देखीए
८२५
५
३६१
'सवृत्तिक आगम
SC-C
२९६
सुत्ताणि
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~340
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