Book Title: Aagam Sambandhi Saahitya 03 Aagam Sootradi Akaaraadi
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
View full book text ________________
आगम संबंधी साहित्य
[भाग-3] नन्दी-आदि-सप्तसूत्राणि-गाथा-अकारादि
[द-कार ] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि गाथा-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य)
प्रत
सूत्रांक यहां देखीए
-१५+
सूत्रानु
क्रमः
नं.अ.आ.
ओ. द.पि. उ. ॥ ५५॥
१२१४ .७०५
३
दीप
क्रमांक
१५९४*
के लिए देखीए
देवलोगसमाणो
अ ५ देवा काबिहा वुत्ता देवाणं मणुआणं च ५ देवाणुअत्ति भत्ती देवादीय लोयं देवा भविताण पुरे भवमी ७ देवाभिओगेण निओइएणं ७ देवा व देवलोगम्मि ७ देवासुरमणुएK अरिहा देविंदचकवट्टित्तणाइ देविंदवंदिएहिं देवी अ नागदत्ता ७ देवी सुमंगलाए ३ देवे णरए य गओ
ww066
४९१* देवेसु अणुचट्टे दुगं १५७६७ देवेहि संपरिवुडो ३२७* देवो चुओ महिडीओ ५८३ देसियदंसियमग्गो २१७+ देसिय राइय पक्खिय ४४१* देसिय राइय पक्खिय ३७९* देसियं च अईयारं ४१२* देसूणगं च वरिसं ९२२ देहन्नसरीरेण व
।९ देहमइजडसुद्धी ७७४ देहविचित्तं पेच्छह ३३८ देहि इमं मा सेसं ४x.देहिंदियाइरित्तो ३०३* देहिं दियाइरित्तो
३ ८२७ देहो सभोत्तिओ खलु
६५+ दो अज्झयणा चूलिय ५१४ दोओणयं अहाजार्य १५६९ दो घेव मत्तगाई १५९८ दो चेव य छट्ठसए
१६२६ दो चेव सागराई ७ १०३०* दो चेव सुवण्णेसुं ३ १८९ दो व नमुक्कारे ४ २५३+ दो छच्च सत्त अट्ठ व ३ १५५९ दोण्णि उ दुद्धरिसतरा
।९२ दोण्णि तिहत्थायामा २३३ दोहं वरमहिलाणं १४+ दोन्नि उ साहु समत्था ३८+ दोन्नि य दिवमुखेत्ते
१६९५मा १६९४
४
'सवृत्तिक
23-454555
२२०+ ३१९+
६०+ ५१५
आगम
सुत्ताणि
६ -३
- 346
Loading... Page Navigation 1 ... 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431