Book Title: Aagam Sambandhi Saahitya 03 Aagam Sootradi Akaaraadi
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
View full book text ________________
आगम संबंधी साहित्य
[भाग-3] नन्दी-आदि-सप्तसूत्राणि-गाथा-अकारादि
[द-कार] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि गाथा-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य)
प्रत
सूत्रांक
यहां देखीए
३ . ६
८७१६
९७०
४
.
दीप क्रमांक के लिए देखीए
दाहोवसमं तव्हाइछेअणं
दिगिंछापरियाण || विजते पढिसेहो
विवाहि भाणपूर ति दिढ असंभमपिंडो विट्ठमदिहं च तहा दिहमदिट्ठा दुविधा | दिलु खीर खीर
दिहंतसुद्धि एसा है दिलुतो अरहता
विहं मिमं असंदिद्ध दिहा व समोसरणे दिडे सुपाणुभूए दिण्णे गुरूहि तेसिं
३००
१०७७ दित्ताऽदित्ता तिरिमा ५०% दिनाउ ताउ पंचवि ११ दिन्ने कोडिने या ६८५ दियराउऽपञ्चवाएप० ५७+ दिवसस्स चउरो भागे १२२२ दिवसस्स पोरिसीणं
९५ दिव्बमाणुस्सतेरिक •१३१ दिव्वे च जे उबसग्गे
११७ दिवो मणूसथोसो ९१ दिला अवरदक्खिमा ३८३ दिसिदाह छिन्नमूलो ९७ दिसिपवणगामसूरिय ८४४ दिसिवए तिविहे पन्नत्ते ५२५ दिसिन्वयगहियस्स
SESUASASAASASARISIENSIS
४ ३०३ दीवे अ इ के कुत्ते ६ २२३ दीसंति बहवे लोए . २९६ दीइकालरयं जंतुकर्म ४ . ७५+ दीहं वा हासं वाजं . १००२* दीहाउया वित्तिमंता . १११७* दुकरं खलु भो ! णिचं. . ९७३* दुकराई करित्ताणं
११३९* दुक्खं हयं जस्स न होइ ३ १०८+ दुगतियचउरो पंच व
१३२० दुगमाई सामने
१४३२ दुगुणो चउग्गुणो वा ४ ३१७ दुग्गओ वा पओएणं ३ ४२ दुग्गाइतोसियनिवो
४७ हुग्गासे तं समइच्छिउं
.
११६३७
६१२
४
४
'सवृत्तिक आगम
३ ४
७२२ ४३४* १४२५ ..३३+
३
सुत्ताणि
- 343
Loading... Page Navigation 1 ... 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431