Book Title: Aagam Sambandhi Saahitya 03 Aagam Sootradi Akaaraadi
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
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आगम
संबंधी
साहित्य
प्रत
सूत्रांक
यहां
देखीए
दीप
क्रमांक
के लिए
देखीए
रावृत्तिक
आगम
सुत्ताण
[भाग 3] नन्दी - आदि-सप्तसूत्राणि - गाथा - अकारादि
[ ज-कार ]
पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः नन्दी - आदि गाथा - अकारादिः (आगम-संबंधी- साहित्य)
जइ विन्नि सव्वगमणं
जइ ते चित्तं शाणं
जइ ते लिंग पमाणं
जइत्ता विउले जने
जइ दोन्ह एग भिक्खा
जडू पराई कीस पुणो
जई पच्छकम्मदोसा
जइ पुण खद्धपणीए
जइ पुण गच्छंताणं
जइ पुण निव्वाषाए
जइ पुण निव्वाषाओ
इ पुर्ण पासवर्ण से
जइ पुण वर्धताणं
जइ पुण विवाह पत्ता
४
३
३
७
४
५
६
४
३
३
४
४
४
४
१५७ | जइ फुला कणियारया
१५८४ जइ फुसइ तर्हि तुंडं
१९३५ जइ मन्झ कारणा एए २६५* जइ य पडिकमियध्वं
४२० ज रित्तो तो दवमत्तगंमि
१०८ जर लिंगमप्पमाणं
६१४ जइ लुद्धो राइणिओ
१५२ ज वासुदेवु पढमो
१४६९ जइवियता पत्ता
~
३
७
३
307
४
3
३
४
१६१५ जविय पडिमा
६३६ जइवि वयमाइएहिं
२६५+ जइवि सुओ मे होही
६
. ६४३ जइ संका दोसकरी
६
१९९ जइसि भोगे चहवं असत्तो ७
३
६
१२५५ | जइऽसि रूवेण वेसमणो २२५+ जइ सुद्धा संवासो
८०१* जइ सुयनाणस्स उद्देसो
६८३ जइ से न जोगहाणी
२५३ जइ हुन्न तस्स अणलो
जडधरपासार्थमि
७
४
२
६
३
११३६
७
५६३ जक्खो तहिं तिंदुरुक्खवासी ७
४३१ जगनिस्सिएहिं भूपहिं
७
४६७ जयंजणघाउसमप्पहाण १-१४७ जचिय देहावत्था
७१३ जड्डे महिसे चारी
१
३
४
५११ जड्डा जंवा तं वा सुकुमारं ४
• ५२९ जणणी सव्वत्थ विणिच्छएस ३ ४३७७ जणलावो परगामे
४
८२३
९८
३
६१८
६७०
३५६
३६६*
२१७
३१*
। ३९
२३९
१३१+
१०९३
१४०+