Book Title: Aagam Sambandhi Saahitya 03 Aagam Sootradi Akaaraadi
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
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आगम संबंधी साहित्य
[भाग-3] नन्दी-आदि-सप्तसूत्राणि-गाथा-अकारादि
[ज-कार ] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि गाथा-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य)
प्रत
K
सूत्रांक यहां देखीए
अ.आ.
५ ३
१०५४
80
सूत्रायनक्रमः
१८०
4%
दीप
६ ३
.
क्रमांक
के लिए देखीए
जाणंतठिएँ वाए उ ४ १८१ जायते न इच्छंति जाणंतु अजाणतो ६ ३१+ जायतेएण बहुजणं जाणंतु ता इमे समणा५ १९३* जायरूवं जहा मट्ठ जाणतोऽविय तरि
११५८ जायसु न एरिसोऽहं जाणावरणपहरणे
८४३ जाया य वत्यपाए जाणावरणपहरणे जुबे . १५३ जारिसए चिय लद्धा जाणाहि संभूय ! महाणुभाग - ४१६ जारिसया लोअगुरू जा तेऊद ठिई खलु . १३४५% जारिसा मम सीसा उ जा दव्बकम्मलेसा
५४२ जारिसा माणुसे लोए जा देवसि दुगुणं ३ १६१८ जावइआ तिसमयाहार० जा नीलाई ठिई खलु . १३४१% जावइयं उवउजइ जा पम्हाइ ठिई खलु . १३४६* जावइया किर दुक्खा जामाइपुत्तपइमारणं च ६ ४३४ जावया विसमयाव जायणपरीसह मि . ११४ जाब गुरूण य तुझा
७
RISAKXANHINDI
२४१* जावजीवमविस्सामो +५९ जावदवधारणमि ९६८ जाव न एजति आपसो ४७२ जावन बहुप्पसनं ता६ २६ प्र० जाव य कुंडग्गामो ५२८ जाय बुच्छं सुई बुच्छ ३८+ जावंतहा सिद्धं देवं १०५९ जावंत देवदत्ता ६७३ जावंतऽविजापुरिसा ४८ जावंति अज्जवइरा ६०७ जावंतिए विसोही १३५० जावंतियमुरेसं
३० जावंति लोप पाणा १५४ जा ससमएण पुचि
९१+ १३१ २७२ १४२ १६०* ७६३ ३९०
७ १ ४ ३ ३ .
'सवृत्तिक आगम
१३०
२१८%
218 १००
सुत्ताणि
~3160
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